Rahat Indori
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Apne hone ka hum is tarah pata dete the
Apne hone ka hum is tarah pata dete the
Khaak mutthi me uthaate the, udaa dete the
Besamar jaan ke hum kaat chuke hai jinko
Yaad aate hai ke bechaare hawa dete the
Ab mere haal pe sharminda hue hai wo bujurag
Jo mujhe Phoolne-Phalne ki dua dete the
Ab se pahle ke jo kaatil the bahut acchhe the
Katal se pahle wo paani to pila dete the
Wo hume kosta rahta tha zamaane bhar me
Aur hum apna koi sher suna dete the
Ghar ki taameer me hum barson rahe hai paagal
Roz deewar uthaate the, gira dete the
Hum bhi ab jhoot ki peshaani ko bosa denge
Tum bhi sach bolne waale ko saza dete the
Rahat Indori
<—–Sheharon-Shehron gaanv ka aangan yaad aaya Kisi aahoo ke liye dur talak mat jaana—>
Collection of Rahat Indori Ghazals and Shayari
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अपने होने का हम इस तरह पता देते थे
अपने होने का हम इस तरह पता देते थे
खाक मुट्ठी में उठाते थे, उड़ा देते थे
बेसमर जान के हम काट चुके हैं जिनको
याद आते हैं के बेचारे हवा देते थे
उसकी महफ़िल में वही सच था वो जो कुछ भी कहे
हम भी गूंगों की तरह हाथ उठा देते थे
अब मेरे हाल पे शर्मिंदा हुये हैं वो बुजुर्ग
जो मुझे फूलने-फलने की दुआ देते थे
अब से पहले के जो क़ातिल थे बहुत अच्छे थे
कत्ल से पहले वो पानी तो पिला देते थे
वो हमें कोसता रहता था जमाने भर में
और हम अपना कोई शेर सुना देते थे
घर की तामीर में हम बरसों रहे हैं पागल
रोज दीवार उठाते थे, गिरा देते थे
हम भी अब झूठ की पेशानी को बोसा देंगे
तुम भी सच बोलने वालों के सज़ा देते थे
राहत इन्दौरी
<—–शहरों-शहरों गाँव का आँगन याद आया किसी आहू के लिये दूर तलक मत जाना—>
राहत इन्दौरी कि ग़ज़लों और शायरियों का संग्रह
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