Nida Fazli
निदा फ़ाज़ली जी की एक बेहतरीन ग़ज़ल। जिसके की हम 1981 में आई फिल्म आहिस्ता-आहिस्ता में भूपिंदर और आशा भोसलें की आवाज़ में सुन चुके है।
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Kabhi kisi ko muqammal jahan nahi milta
Kabhi kisi ko muqammal jahan nahi milta
Kahin zamin ti kahin aasman nahi milta
Jise bhi dekhiye wo pane ap me gum hai
Zuba mili hai magar hum-zuba nahi milta
Bhujha saka hai bhala kaun waqt ke shole
Ye aesi aag hai jisme dhua nahi milta
Tere zahan me aesa nahi ki pyar na ho
Jahan ummid ho iski waha nahi milta
Nida Fazli
<—Wo shokh shokh nazar saawali si ek ladki Aankhon ka jaam likho julf ki barsat likho—->
Collection of Nida Fazli Shyari and Ghazal
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कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता
कहीं ज़मीं तो कहीं आसमाँ नहीं मिलता
जिसे भी देखिये वो अपने आप में गुम है
ज़ुबां मिली है मगर हम-ज़ुबां नहीं मिलता
बुझ सका है भला कौन वक्त के शोले
ये ऐसी आग है जिसमें धुआं नहीं मिलता
तेरे जहान में ऐसा नहीं कि प्यार न हो
जहाँ उमीद हो इसकी वहाँ नहीं मिलता
निदा फ़ाज़ली
<—वो शोख शोख नज़र सांवली सी एक लड़की आँखों का जाम लिखो जुल्फ कि बरसात लिखो—>
निदा फ़ाज़ली की शायरी और ग़ज़लों का संग्रह
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