Ahmad Faraz (अहमद फ़राज़)
Two Line Shayari by Ahmad Faraz Part – 1
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1
वो बात बात पे देता है परिंदों की मिसाल
साफ़ साफ़ नहीं कहता मेरा शहर ही छोड़ दो
Wo baat baat pe deta hai parindon ki misal
Saaf saaf nahin kehata mera sehar hi chhod do
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2
तुम्हारी एक निगाह से कतल होते हैं लोग फ़राज़
एक नज़र हम को भी देख लो के तुम बिन ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती
Tumhari ek nigaah se qatal hote hai log Faraz
Ek nazar hum ko bhi dekh lo ke tum bin zindagi achchi nahin lagti
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3
अब उसे रोज़ न सोचूँ तो बदन टूटता है फ़राज़
उमर गुजरी है उस की याद का नशा किये हुए
Ab use roz na sonchoon to badan toot ta hai Faraz
Umar gujari hai us ki yaad ka nasha kiye hue
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4
एक नफरत ही नहीं दुनिया में दर्द का सबब फ़राज़
मोहब्बत भी सकूँ वालों को बड़ी तकलीफ़ देती है
Ek nafrat hi nahin duniya mein dard ka sabab Faraz
Mohabbat bhi sakoon walon ko badi taklif deti hai
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5
हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आए फ़राज़
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था
Hum apni rooh tere jism mein chhod aaye Faraz
Tujhe gale se lagana to ek bahaana tha
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6
माना कि तुम गुफ़्तगू के फन में माहिर हो फ़राज़
वफ़ा के लफ्ज़ पे अटको तो हमें याद कर लेना
Mana ki tum guftgoo ke fan mein mahir ho Faraz
Wafa ke lafz pe atako to humein yaad kar lena
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7
ज़माने के सवालों को मैं हँस के टाल दूँ फ़राज़
लेकिन नमी आखों की कहती है “मुझे तुम याद आते हो”
Zamane ke sawalon ko mein hans ke taal doon Faraz
Lekin nami aankhon ki kehati hai “mujhe tum yaad aate ho”
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8
अपने ही होते हैं जो दिल पे वार करते हैं फ़राज़
वरना गैरों को क्या ख़बर की दिल की जगह कौन सी है
Apne hi hote hai jo dil pe war karte hai Faraz
Warna gairon ko kya khabar ki dil ki jagah kaun si hai
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9
तोड़ दिया तस्बी* को इस ख्याल से फ़राज़
क्या गिन गिन के नाम लेना उसका जो बेहिसाब देता है
* तस्बी = माला
Tod diya tasbi ko is khyaal se Faraz
Kya gin gin ke naam lena uska jo behisaab deta hai
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10
हम से बिछड़ के उस का तकब्बुर* बिखर गया फ़राज़
हर एक से मिल रहा है बड़ी आजज़ी* के साथ
* तकब्बुर – घमंड
* आज़ज़ी – विनर्मता
Hum se bichad ke us ka takbbur bikhar gaya Faraz
Har ek se mil raha hai badi aajaji ke sath
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Part 13 Part 14 Part 15
अहमद फ़राज़ की ग़ज़लों और गीतों का संग्रह
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R Sultan says
Apne hi hote hai jo dil pe war karte hai Faraz
Warna gairon ko kya khabar ki dil ki jagah kaun si hai
“Mind blowing sir”
krish@ says
कौन सी है वो चीज़ जो यहाँ नहीं मिलती,!!!
सब कुछ मिल जाता है लेकिन “माँ” नहीं मिलती…???
रूपचन्द्र शास्त्री मयंक says
बढ़िया प्रस्तुति।
रक्षाबन्धन के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
राजीव कुमार झा says
बहुत सुंदर प्रस्तुति.
इस पोस्ट की चर्चा, रविवार, दिनांक :- 10/08/2014 को "घरौंदों का पता" :चर्चा मंच :चर्चा अंक:1701 पर.