अफ्रीका के शहर टोगो की राजधानी लोम में स्तिथ एकोडेसिवा फेटिश मार्केट विशव का सबसे बड़ा वूडू मार्किट है। वूडू को हम अफ़्रीकी काला जादू कह सकते है। जिस प्रकार भारत में बंगाल का काला जादू सबसे अधिक प्रसिद्ध है उसी प्रकार अफ्रीका में वूडू प्रसिद्ध है।
वूडू की शुरुआत वेस्ट अफ्रीका से हुई थी। गुलामों द्वारा यह विधा अमेरिकी देशों में पहुंची। वर्तमान में टोगो, नाइजीरिया और घाना में यह बहुत प्रचलन में है। वूडू जादू में मुख्य तौर पर जानवरों के अंगो का इस्तेमाल किया जाता है।
अन्य किसी भी तांत्रिको की तरह वूडू तांत्रिको का भी दावा होता है की वो इन जानवरों के अंगो और अभिमंत्रित ताबीज के प्रयोग से किसी भी समस्या का समाधान कर सकते है चाहे फिर वो किसी दम्पति को बच्चे न होने की समस्या हो या फिर किसी खिलाडी द्वारा बढ़िया प्रदर्शन न करने की समस्या या फिर व्यापार में घाटे की समस्या।
इस बाजार में मिलते है जानवरों के अंग :
एकोडेसिवा फेटिश मार्केट टोगो के रेगिस्तानी इलाके में स्तिथ है। इस तांत्रिक बाज़ार में पहुँचते ही दूर से ही आपको मेज़ो पे सजे हुए और रस्सियों से लटके हुए जानवरों के अलग-अलग अंग दिखाई देंगे। वूडू जादू में सबसे अहम रोल जानवरों के अंगो का होता है। वूडू पुजारियों का मानना है की इस धरती पर उपस्तिथ प्रत्येक प्राणी शक्तिशाली और दैवीय है तथा उनकी दैवीय शक्ति से किसी भी समस्या का समाधान किया जा सकता है।
वूडू जादू में अलग-अलग समस्याओं के समाधान के लिए अलग-अलग जानवरों अलग-अलग अंग काम में लिए जाते है। वूडू जादू के इस बाज़ार में कई तरह के जानवरो जैसे की बन्दर, मगरमच्छ, घड़ियाल, बकरी, ऊंट, लंगूर, छिपकली, तेंदुए आदि के शरीर के कई अंग जैसे की सर, पंजे, पैर, नाखून, लीवर, अंडकोष,सिंग, खाल आदि मिलते है।
टोगो के इस वूडू जादू के मार्केट को देखने अनेको पर्यटक पहुँचते है हालांकि यहाँ पहुँचने वाले अधिसंख्यक पर्यटक सिर्फ मार्केट देखने आते है इलाज़ करवाने वाले बहुत कम होते है। वूडू जादू से समस्याओं का समाधान स्थानीय अफ़्रीकी निवासी ही करवाते है क्योंकि उनकी वूडू जादू पर गहरी आस्था है और आस्था के आगे सब फेल है।
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