Ahmad Faraz (अहमद फ़राज़)
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Khusboo ka safar
Chhod paimaane-wafa ki baat sharminda na kar
Dooriyan, majbooriyan, ruswaayian, tanhaaiyan
Koi qaatil, koi bismil, siskiyan, shanaaiyan
Dekh ye hansta hua mausim hai maujoo-e-nazar
Waqt ki rau mein abhi saahil abhi mauje-fana
Ek jhonka ek aandhi, ik kiran, ik joo-e-khoon
Phir wahi sehara ka sannata, wahi marge-junoon
Haath haatho ka asaasa, haath haatho se juda
Jab kabhi aayega ham par bhi judaai ka samaa
Tut jaayega mire dil mein kisi khwaahish ka teer
Bheeg jaayegi tiri aankhon mein kaajal ki laqir
Kal ke andeshon se apne dil ko aajurda na kar
Dekh ye hansta hua mausim, ye khusboo ka safar
Ahmad Faraz
<—-Kya rukhsat-e-yaar ki ghari thi Jab teri yaad ke jugnu chamke—–>
Collection of Ghazals and Lyrics of Ahmad Faraz
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ख़ुशबू का सफ़र
छोड़ पैमाने-वफ़ा* की बात शर्मिंदा न कर
दूरियाँ ,मजबूरियाँ, रुस्वाइयाँ*, तन्हाइयाँ
कोई क़ातिल ,कोई बिस्मिल,* सिसकियाँ, शहनाइयाँ
देख ये हँसता हुआ मौसिम है मौज़ू-ए-नज़र*
वक़्त की रौ में अभी साहिल* अभी मौजे-फ़ना*
एक झोंका एक आँधी,इक किरन , इक जू-ए-ख़ूँ*
फिर वही सहरा का सन्नाटा, वही मर्गे-जुनूँ[13]
हाथ हाथों का असासा* ,हाथ हाथों से जुदा*
जब कभी आएगा हमपर भी जुदाई का समाँ
टूट जाएगा मिरे दिल में किसी ख़्वाहिश का तीर
भीग जाएगी तिरी आँखों में काजल की लकीर
कल के अंदेशों* से अपने दिल को आज़ुर्दा* न कर
देख ये हँसता हुआ मौसिम, ये ख़ुशबू का सफ़र
पैमाने-वफ़ा = वफ़ादारी का संकल्प
रुस्वाइयाँ = बदनामियाँ
बिस्मिल = घायल
मौज़ू-ए-नज़र = चर्चा का विषय
साहिल = किनारा,तट
मौजे-फ़ना = मृत्यु-लहर
जू-ए-ख़ूँ = ख़ून की नदी
मर्गे-जुनूँ = दीवानेपन की मृत्यु
असासा = पूँजी
जुदा = अलग
अंदेशों = पूर्वानुमान
आज़ुर्दा = पीड़ित
अहमद फ़राज़
<—-क्या रुख्सत-ए-यार की घड़ी थी जब तेरी याद के जुगनू चमके—–>
अहमद फ़राज़ की ग़ज़लों और गीतों का संग्रह
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