टाइगर टेम्पल असल में एक बौद्ध मंदिर है। जिसकी स्थापना 1994 में हुई थी। इस मंदिर को इसकी स्थापना के साथ ही बौद्ध भिक्षुओं ने इसे वन्य जीव संरक्षण प्रोग्राम से जोड़ दिया था। शुरू में यहाँ पर कुछ छोटे जंगली जानवर और पक्षी ही थे। 1999 में यहाँ पर पहली बार एक टाइगर का बच्चा आया, जिसे एक ग्रामीण जंगल से लाया था। उसकी माँ शिकारियों द्वारा मरी जा चुकी थी। आपको यह बता दे की थाईलैंड में तस्करी के लिए जानवरों का शिकार बहुतायत से होता है। हालांकि वो बच्चा ज्यादा दिन ज़िंदा नहीं रहा। पर उसके बाद इस मंदिर में बाघों के अनाथ बच्चे, ग्रामीणो द्वारा लाए जाने लगे।
धीरे-धीरे इस टेम्पल में बाघों की संख्या काफी बढ़ गई और इसका नाम ही टाइगर टेम्पल पड़ गया। वर्तमान में यहाँ लगभग 150 बाघ है। इन बाघों की सबसे बड़ी विशेषता यह है की इन्हें बौद्ध भिक्षुओं द्वारा इस तरह से ट्रेंड किया जाता है की यह इंसानों के साथ घुल मिल जाते है और उन्हें किसी तरह का नुक्सान नहीं पहुंचाते है।
टाइगर टेम्पल में आने वाले पर्यटक इन बाघों के साथ खेलते है और फोटो खिचवाते है। यह टेम्पल थाईलैंड का प्रमुख ट्यूरिस्ट अट्रेक्शन बन चूका है। हर साल यहाँ पर लाखों की संख्या में ट्यूरिस्ट आते है। आज तक बाघों ने किसी को कोई भी नुक्सान नहीं पहुँचाया है।
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