Amazing Tradition at Varanasi : Holi with ashes – काशी में होली मनाने की एक अलग परंपरा है। फाल्गुन की रंगभरी एकादशी के दिन बाबा विश्वनाथ देवी पार्वती का गौना कराकर दरबार लौटते हैं। इस दिन बाबा की पालकी निकलती है और लोग उनके साथ रंगों का त्योहार मनाते हैं। दूसरे दिन बाबा औघड़ रूप में महाश्मशान पर जलती चिताओं के बीच चिता-भस्म की होली खेलते हैं। इसमें लोग डमरुओं की गूंज और ‘हर हर महादेव’ के नारे के साथ एक दूसरे को भस्म लगाते हैं।
हर बार की तरह इस बार भी सोमवार (2 मार्च) सुबह महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर लोगों ने बाबा मशान नाथ को विधिवत भस्म, अबीर, गुलाल और रंग चढ़ाकर डमरुओं की गूंज के बीच भव्य आरती की। इसके बाद यह टोली चिताओं के बीच आ गई और ‘हर हर महादेव’ के जयकारे के बीच चिता-भस्म की होली खेली गई। इस बारे में समिति के अध्यक्ष चैनु प्रसाद ने मान्यताओं के बारे में बताया कि औघड़दानी बनकर बाबा खुद महाश्मशान में होली खेलते हैं और मुक्ति का तारक मंत्र देकर सबको तारते हैं।
रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद खेली जाती है होली
आयोजक समिति प्रमुख गुलशन कपूर ने बताया कि यह परंपरा प्राचीन काल से ही चली आ रही है। इस दिन मशान नाथ मंदिर में घंटे और डमरुओं के बीच औघड़दानी रूप में विराजे बाबा की आरती की जाती है। लोगों का मानना है कि मशान नाथ रंगभरी एकादशी के एक दिन बाद खुद भक्तों के साथ होली खेलते हैं।
बाबा देते हैं मुक्ति
ऐसी मान्यता है की मृत्यु के बाद जो भी मणिकर्णिका घाट पर दाह संस्कार के लिए आते हैं, बाबा उन्हें मुक्ति देते हैं। यही नहीं, इस दिन बाबा उनके साथ होली भी खेलते हैं। तीर्थ पुरोहित किशोर मिश्रा ने बताया कि इस नगरी में प्राण छोड़ने वाला व्यक्ति शिवत्व को प्राप्त होता है। श्रृष्टि के तीनों गुण सत, रज और तम इसी नगरी में समाहित हैं।
मृत्यु को भी मंगल माना जाता है
शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि महाश्मशान ही वो स्थान है, जहां कई वर्षों की तपस्या के बाद महादेव ने भगवान विष्णु को संसार के संचालन का वरदान दिया था। इसी घाट पर शिव ने मोक्ष प्रदान करने की प्रतिज्ञा ली थी। यह दुनिया की एक मात्र ऐसी नगरी है जहां मनुष्य की मृत्यु को भी मंगल माना जाता है। यहां शव यात्रा में मंगल वाद्य यंत्रों को बजाया जाता है।
तीनों लोकों से न्यारी है काशी
दाह संस्कार कराने आए राजीव सिंह कहते हैं कि काशी तीनों लोकों से न्यारी है। श्मशान घाट पर चिताओं के बीच डमरुओं की नाद, ‘हर हर महादेव’ का उद्घोष और भष्मों की होली देखकर जीवन भर नहीं भूलने वाला सुखद आनंद मिला।
भारत के अन्य मंदिरों के बारे में यहाँ पढ़े – भारत के अदभुत मंदिर
यदि आप पौराणिक कहानियाँ पढ़ना चाहे तो यहाँ पढ़े – पौराणिक कथाओं का विशाल संग्रह
अन्य विचित्र परम्पराएँ
- काशी के मणिकर्णिका शमशान घाट पर जलती चिताओं के पास पूरी रात नाचती हैं सेक्स वर्कर, आखिर क्यों ?
- भारत की 10 अनोखी परम्परा और मान्यता
- हिमाचल प्रदेश के किन्नौर में आज भी महिलाएं करती है बहु पति विवाह
- लाहौल-स्पीति – यहां बहन बनती है दूल्हा, शादी करके घर लाती है अपनी भाभी
- दुनिया के 10 अजीबो गरीब रस्मोरिवाज
Tag- Hindi, News, Information , Story, History, Itihas, Holi With Burning Funeral Ashes At Manikarnika Ghat Crematorium, Kashi, Banaras,
Join the Discussion!