शास्त्रों में कई ऐसे उदाहरण दिए गए हैं, जिनसे हम यह सीख सकते हैं कि सुखी जीवन के लिए कौन-कौन सी बातों से बचना चाहिए। यहां जानिए 5 ऐसी बातें जिनसे दूर रहना सभी के लिए फायदेमंद होता है…
1. अत्यधिक मोह
किसी भी चीज में बहुत अधिक मोह होना भी परेशानियों का कारण बन जाता है। कई लोग मोह के कारण सही और गलत का भेद भूल जाते हैं। मोह को जड़ता का प्रतीक माना गया है। जड़ता यानी यह व्यक्ति को आगे बढ़ने नहीं देता है, बांधकर रखता है। मोह में बंधा हुआ व्यक्ति अपनी बुद्धि का उपयोग भी ठीक से नहीं कर पाता है। यदि व्यक्ति आगे नहीं बढ़ेगा तो कार्यों में सफलता नहीं मिल पाएगी।
धृतराष्ट्र को दुर्योधन से और हस्तिनापुर के राज-पाठ से अत्यधिक मोह था। इसी कारण धृतराष्ट्र अपने पुत्र दुर्योधन द्वारा किए जा रहे अधार्मिक कर्मों के लिए भी मौन रहे। इस मोह के कारण कौरव वंश का सर्वनाश हो गया।
2. अहंकार
अहंकार यानी स्वयं को श्रेष्ठ समझना और दूसरों को तुच्छ। जो लोग सिर्फ मैं या अहं के भाव के साथ जीते हैं, वे जीवन में कभी भी सफलता हासिल नहीं कर पाते हैं। यदि किसी काम में सफलता मिल भी जाती है तो वह स्थाई नहीं होती है। अहं की भावना व्यक्ति के पतन का कारण बनती है।
अहंकार के कई उदाहरण शास्त्रों में दिए गए हैं। रावण ने श्रीराम को तुच्छ समझा था। दुर्योधन ने सभी पांडवों को तुच्छ समझा था। परिणाम सामने है। रावण और दुर्योधन का अंत हुआ।
3. अज्ञान या अधूरा ज्ञान
किसी भी काम में सफलता पाने के लिए सही ज्ञान होना आवश्यक है। अज्ञान या अधूरा ज्ञान हमेशा परेशानियों का कारण बनता है। अत: व्यक्ति को सदैव ज्ञान अर्जित करने के प्रयास करते रहना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा जानकारी होगी तो हमारा दिमाग अच्छे-बुरे समय में सही निर्णय ले सकेगा। सही और गलत में से सही को चुनना तो सरल है, लेकिन दो सही बातों में से ज्यादा सही कौन सी बात है, ये जानने के लिए ज्ञान होना बहुत जरूरी है। पर्याप्त ज्ञान रहेगा तो हम अवसरों को समय पर पहचान सकेंगे और उनसे लाभ प्राप्त कर पाएंगे।
अज्ञान या अधूरा ज्ञान किस प्रकार हानि पहुंचाता है, इसका श्रेष्ठ उदाहरण महाभारत में देख सकते हैं। जब कौरवों की ओर से चक्रव्यूह रचना की गई थी, तब अभिमन्यु ने इसे भेदा था। अभिमन्यु चक्रव्यूह में प्रवेश करना तो जानता था, लेकिन चक्रव्यूह से पुन: लौटना नहीं जानता था। इस कारण वे चक्रव्यूह में फंस गए और मृत्यु को प्राप्त हुआ। ठीक इसी प्रकार आज भी अधूरा ज्ञान हमें भी परेशानियों में फंसा सकता है। अत: ज्ञान बढ़ाते रहना चाहिए।
4. क्रोध
जब किसी व्यक्ति के मन की बात पूरी नहीं हो पाती है तो उसे क्रोध आना स्वभाविक है। जो लोग इस क्रोध को संभाल लेते हैं, वे निकट भविष्य में कार्यों में सफलता भी प्राप्त कर लेते हैं। जबकि, जो लोग क्रोध को संभाल नहीं पाते हैं और इसके आवेश में गलत काम कर देते हैं, वे परेशानियों का सामना करते हैं।
रामायण में रावण ने क्रोधित होकर विभीषण को लंका से निकाल दिया था। इसके बाद विभीषण श्रीराम की शरण में चले गए। युद्ध में विभीषण ने ही श्रीराम को रावण की मृत्यु का रहस्य बताया था। क्रोध के आवेश में व्यक्ति ठीक से निर्णय नहीं ले पाता है, अत: क्रोध को काबू करना चाहिए। इसके लिए रोज मेडिटेशन करें। ध्यान से क्रोध नियंत्रित हो सकता है।
5. असुरक्षा की भावना या मौत का डर
जिन लोगों में असुरक्षा की भावना होती है, वे किसी भी काम को पूरी एकाग्रता से नहीं कर पाते हैं। हर पल स्वयं को असुरक्षित महसूस करते हैं और खुद को सुरक्षित करने के लिए सोचते रहते हैं।
राजा कंस को जब आकाशवाणी से यह मालूम हुआ कि देवकी की आठवीं संतान उसका काल बनेगी तो वह डर गया। कंस मृत्यु के भय से असुरक्षित महसूस करने लगा। इस भय में उसे देवकी की संतानों को जन्म होते मार दिया। कई ऐसे काम किए, जिससे उसके पापों घड़ा भरा गया। लाख प्रयासों के बाद भी वह श्रीकृष्ण को नहीं मार पाया और उसी का अंत हुआ।
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Bhakti says
Hame apane dharam grantho k bataye huye rasto par chalna chahiye .Tabhi jakar hamara hindu dharma sada k liye rahega
roshan rajput says
bahut achha
PRITAM HALDER says
akdam sahi baat hai ji … bahut badiya satya bachan
Upasna Siag says
sahi baat ki aapne ..