8 Shivlings Related to Pandavas : भारत के विभिन्न प्रांतों में कई ऐसे शिवलिंग मौजूद है जिनकी स्थापना महाभारत काल में हुई थी। इनमे से कई शिवलिंग ऐसे है जिनके बारे में मान्यता है कि इनकी स्थापना स्वयं पांडवों ने की थी। आइए जानते है ऐसे ही कुछ शिवलिंगों के बारे में।
1. गंगेश्वर महादेव, दीव (Gangeshwar Mahadev, Diu)
गंगेश्वर महादेव मंदिर दीव से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर में पांच शिवलिंग एक साथ स्थापित है। मान्यता है कि वनवास और अज्ञातवास के दौरान पांडवो ने यहां इन शिवलिंगों की स्थापना की थी।
2. भयहरण महादेव, प्रतापगढ़ ,उत्तरप्रदेश (Bhayaharan Nath Mahadev, Pratapgarh, Uttar Pradesh)
मान्यता है कि अज्ञातवाश के दौरान पांडवों ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। मन की उलझन और भय को दूर करने के लिए श्रद्धालु यहां आते हैं।
3. ममलेश्वर महादेव, हिमाचल प्रदेश (Mamleshwar Mahadev, Himachal Pradesh)
मान्यता है कि इस शिवलिंग की स्थापना भी पांडवों ने अज्ञातवाश के दौरान की थी। यहां 200 ग्राम वजन का गेहूं का दाना भी रखा हुआ है, जिसे पांडव कालीन माना जाता है। ममलेश्वर महादेव की सम्पूर्ण कहानी यहां पढ़े
4. पड़िला महादेव, इलाहाबाद (Padilla Mahadev, Allahabad)
इसे पांडेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इलाहाबाद प्रतापगढ़ के बीच स्तिथ इस शिवलिंग के बारे में कहते हैं कि पाटलिपुत्र की यात्रा के दौरान पांडव यहां आए थे और ऋषि भारद्वाज कहने पर शिवलिंग की स्थापना की थी।
5. लोधेश्वर महादेव, बाराबंकी, उत्तरप्रदेश (Lodheshwar Mahadev, Barabanki, Uttar Pradesh)
यह शिवलिंग उत्तरप्रदेश में बाराबंकी के रामनगर तहसील में है। कहते हैं वनवास के दौरान पांडवो ने यहां महर्षि वेदव्यास की आज्ञा से यज्ञ और शिवलिंग की स्थापना की थी।
6. स्थानेश्वर शिवलिंग, हरियाणा (Sthaneshwar Shivling, Haryana)
कुरुक्षेत्र में स्थापित स्थानेश्वर शिवलिंग को लेकर माना जाता है कि महाभारत युद्ध शुरू होने से पहले अर्जुन और श्री कृष्ण ने इस शिवलिंग की स्थापना कर भोलेनाथ की पूजा की थी।
7. कालीनाथ शिवलिंग, हिमाचल प्रदेश (Kalinath Shivling, Himachal Pradesh)
हिमाचल की कांगड़ा घाटी के परागपुर गाँव में श्री कालीनाथ महाकालेश्वर शिवलिंग है। कहते है कि लाक्षागृह से जीवित बचने के बाद पांडवो ने इसकी स्थापना की थी।
8. लाखामंडल उत्तराखंड (Lakhamandal Temple Shivling, Uttarakhand)
मान्यता है कि लाक्षागृह से बच निकलने के बाद पांडव बहुत समय तक यहां रुके थे। इसी दौरान यहां के शिवलिंग की स्थापना की गई थी।
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