Yoni Se Judi Anokhi Manyatayen | योनि (yoni) और लिंग (ling) हमेशा से ही मनुष्य की जिज्ञासा का केंद्र रहे है। हालांकि भारत में योनि और लिंग दोनों की पूजा की जाती है फिर भी आज भी इन पर खुलकर चर्चा नहीं की जाती है। लेकिन इनके आकर्षण से कोई भी अछूता नहीं है। वात्स्यान ने ‘कामसूत्र’ में योनियों का उनके आकार के अनुसार वर्गीकरण किया है। वात्सायन ने स्त्री की योनियों के तीन प्रकार बताएं हैं। पहली मृगी अर्थात हिरणी के समान उथली योनि वाली, दूसरी बड़वा अर्थात घोड़ी के समान मध्यम गहराई वाली योनि और तीसरी हस्तिनी यानी हथिनी के समान गहराई वाली योनि। Yoni Se Judi Anokhi Mmanyatayen | आपको यह जानकार आश्चर्य होगा की भारत के कई समुदायों में योनि को लेकर अजीबोगरीब मान्यताएं हैं। वेरियर एल्विन ने अपनी पुस्तक ‘मिथ्स ऑफ मिडिल इंडिया’ में इस बारे में काफी कुछ जानकारी दी है। आइए जानते है योनि से जुडी ऐसी ही अजीबो-गरीब मान्यताओं के बारे में –
घुटने के नीचे होती थी योनि पूर्व बस्तर रियासत के मारिया गदापाल समुदाय में की अपनी एक अलग ही मान्यता है। उनके मुताबिक पुराने में जमाने में योनि महिला के बाएं पैर के नीचे मांसल भाग (पिंडली) में होती थी। एक दिन एक मुर्गे ने उसमें चोंच से प्रहार किया। मुर्गे द्वारा चोंच मारने के कारण योनि दोनों पैरों की बीच ऊपर की ओर उछली। ऐसा माना जाता है कि तब से यह वहीं पर स्थापित हो गई।
योनि डरकर पैरों के बीच छिप गई मारिया फुलपार लोगों की मान्यता के अनुसार भी योनि किसी समय बाएं पैर के नीचे पिंडली पर हुआ करती थी। एक दिन एक मुर्गे ने उसमें चोंच मारी, जिसके कारण योनि से खून बहने लगा। डरी हुई योनि दौड़कर औरत के पैरों पर ऊपर की ओर भागी और पैरों के बीच में उगे बालों के बीच जाकर छिप गई। एक अन्य मान्यता के अनुसार योनि के दाहिने पैर नीचे होने का उल्लेख किया गया है।
लौकी जैसी लटकती थी योनि नवागढ़ के कमार समुदाय की योनि को लेकर अपनी अलग ही कहानी है। उसके मुताबिक एक किसान के बेटे का विवाह बचपन में ही कर दिया गया था। जब ससुर बहू को लेकर बेटे की ससुराल से लौट रहा था तो उसने बहू को समझाया कि वह गाय के खुर के निशान के भीतर अपना पैर हरगिज न रखे। बरसात के दिनों में बहू ससुर का खाना लेकर खेत पर जा रही थी। धान के खेतों में पानी भरा हुआ था। ऐसे में बहू के मन में विचार कौंधा कि आखिर ससुर ने गाय के खुर पर पैर रखने को क्यों मना किया। उसने जैसे ही गाय के खुर पर उसने पांव रखा वैसे कीचड़ उछलकर उसके गुप्तांगों में लग गया। उसने गुप्तांग गंदे होने की बात ससुर को बताई तो उसने नदी में साफ करके आने को कहा। बहू पानी में जाकर बैठ गई। उन दिनों योनि महिलाओं के पांवों के बीच लौकी जैसे लटकी होती थी और लोग संभोग भी खड़े होकर ही करते थे। नदी में पानी के बहाव के कारण थैले जैसी योनि पानी में इधर-उधर हो रही थी। तभी एक केंकड़े ने योनि को अपने शिकंजे में ले लिया। बहू ने मदद के लिए ससुर को आवाज दी। वह मदद के लिए दौड़ते आया। जैसे ही केंकड़े ने उसे देखा तो उसने लड़की की योनि का थैला काटा और अपने बिल में घुस गया। बस, तब से ही औरतों की योनि सपाट होने लगी।
योनि में नहीं होता था छेद एक मान्यता के अनुसार सृष्टि की शुरुआत में औरतों को योनि तो होती थी पर उसमें छेद नहीं होता था। महेसुर नाम के संत ने छेद बनाने के लिए वहां का मांस खींचा और मांस को नदी में फेंक दिया। नदी में पहुंचकर मांस जोंक में बदल गया। एक अन्य मान्यता के अनुसार सांप के काटने से महिलाओं को योनि बनी।
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