Baba Jagjivan Das kotwa dham | घटना लगभग 300 वर्ष से भी पहले समर्थ स्वामी जगजीवन साहब के जीवन काल की है । एक बार समर्थ सद्गुरु जगजीवन साईं अपनी तपोभूमि श्री कोटवाधाम में अपने शिष्यों और भक्तों के साथ बैठकर सत्संग एवं ज्ञान चर्चा कर रहे थे।ज्ञान चर्चा करते हुए स्वामी जी ने त्रिवेणी संगम स्नान एवं उसके पुण्य फल लाभ के बारे में बताया।
अतः भक्तों ने श्रीप्रयागराज जाकर श्री त्रिवेणी में स्नान करने की इच्छा स्वामी जी के सम्मुख व्यक्त की, तब स्वामी जी ने कहा कि त्रिवेणी जी तो सत्यनाम की ही तरंग हैं, अतः आप लोगों को इतनी दूर जाने की क्या जरुरत, आप लोग निर्मल मन से माँ त्रिवेणी का आह्वान कीजिये वे बड़ी कृपालु हैं अतः वे अपने भक्तों की इच्छा अवश्य पूरी करेंगी,तब भक्तों ने कहा कि स्वामी जी आप हम पर कृपा करके हमसब की त्रिवेणीस्नान की मनोकामना पूर्ण करें ,और वहाँ उपस्थित समस्त भक्त समूह ने स्वामी जी से त्रिवेणी दर्शन की इच्छापूर्ति हेतु प्रार्थना की। तब स्वामी जीने माँ त्रिवेणी का ध्यान और आह्वान किया।
देखते ही देखते श्री अभरन कुंड के मध्य माँ त्रिवेणी प्रगट हुई और अभरन के मध्य जल की तीन जलधारा प्रवाहित होने लगी। माँ त्रिवेणी का अलौकिक अवतरण देखकर भक्त समूह आनंदित हो उठा, और भक्तों द्वारा समर्थ स्वामी जगजीवन साहब की जय जयकार के नारों से आकाश गूँज उठा।
भक्तों के साथ स्वामी जी ने भी श्री अभरन कुंड में त्रिवेणी संगम का स्नान किया। बाद में स्वामी जी ने माँ त्रिवेणी से प्रार्थना कीऔर कहा माते अब अपने इस दिव्य स्वरूप को श्री घाघरा जी मे समाहित कर भक्त का मान रख कर घाघरा का मान बढ़ाएं।
कहते हैं कि स्वामी जी के इतना कहने पर अभरन कुंड से माँ त्रिवेणी की तीनों जल धारा साथ साथ बहती हुई श्री घाघरा जी मे समाहित हो गई।। इसका प्रमाण कीर्ति साग़र एवं कीर्ति सिंधु ग्रन्थ में मिलता है। कोटवा महातम ग्रन्थ में भी “समर्थ साहब गुरुदत्त दास जू”ने भी इसका उल्लेख करते हुए कहा है-
सरस्वती यमुना औ गंगा।
ई तीनिउ सतनाम तरंगा।।
तेहि मज्जन स्नान करि,छूटि गये सब पाप।
चित लागेउ सतनाम ते,माधव माधव जाप।।
आचार्य, डा.अजय दीक्षित
डा. अजय दीक्षित जी द्वारा लिखे सभी लेख आप नीचे TAG में Dr. Ajay Dixit पर क्लिक करके पढ़ सकते है।
भारत के मंदिरों के बारे में यहाँ पढ़े – भारत के अदभुत मंदिर
सम्पूर्ण पौराणिक कहानियाँ यहाँ पढ़े – पौराणिक कथाओं का विशाल संग्रह
अन्य सम्बंधित लेख-
- कौनसी शिव प्रतिमा के पूजन का क्या होता हैं फल
- यमराज को क्यों लेना पड़ा विदुर रुप में अवतार
- राम नाम की महिमा
- अदभुत रहस्य – बारह घन्टे के हनुमान ने किया था सूर्य का भक्षण
- कथा – रहस्यमई “चूडामणि” का अदभुत रहस्य “
Join the Discussion!