Tithi Anusar Aahar Vihar | तिथि अनुसार आहार-विहार : –
प्रतिपदा को :– कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।
द्वितीया को :—बृहती (छोटा गन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।
तृतीया को:– परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।
चतुर्थी को :–मूली खाने से धन का नाश होता है।
पंचमी को:— बेल खाने से कलंक लगता है।
षष्ठी को :—नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।
सप्तमी को :—-ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है , शरीर का नाश होता है।
अष्टमी को :— नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है।
नवमी को :—लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।
एकादशी को:– शिम्बी(सेम)
द्वादशी को:– पूतिका(पोई)
त्रयोदशी को:– बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है।
अमावस्या, पूर्णिमा, संक्रान्ति, चतुर्दशी और अष्टमी तिथि, रविवार, श्राद्ध और व्रत के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।
सूर्यास्त के बाद कोई भी तिलयुक्त पदार्थ नहीं खाना चाहिए।
लक्ष्मी की इच्छा रखने वाले को रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए। यह नरक की प्राप्ति कराने वाला है।
दूध के साथ नमक, दही, लहसुन, मूली, गुड़, तिल, नींबू, केला, पपीता आदि सभी प्रकार के फल, आइसक्रीम, तुलसी व अदरक का सेवन नहीं करना चाहिए।
यह विरूद्ध आहार है।
दूध पीने के 2 घंटे पहले व बाद के अंतराल तक भोजन न करें।
बुखार में दूध पीना साँप के जहर के समान है।
काटकर देर तक रखे हुए फल तथा कच्चे फल जैसे कि आम, अमरूद, पपीता आदि न खायें।
फल भोजन के पहले खायें।
रात को फल नहीं खाने चाहिए।
एक बार पकाया हुआ भोजन दुबारा गर्म करके खाने से शरीर में गाँठें बनती हैं, जिससे टयूमर की बीमारी हो सकती है।
अभक्ष्य-भक्षण करने (न खाने योग्य खाने) पर उससे उत्पन्न पाप के विनाश के लिए पाँच दिन तक गोमूत्र, गोमय, दूध, दही तथा घी का आहार करो।
आचार्य डा.अजय दीक्षित “अजय”
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