Aja Ekadashi 2019 Date & Time, Aja Ekadashi Vrat Katha, Aja Ekadashi Puja Vidhi :- भाद्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी ‘अजा’ एकादशी कहलाती हैं। इस ‘अजा’ एकादशी के व्रत के प्रभाव से जाने-अनजाने में हुई सभी पापों का नाश होता है।
अजा एकादशी 2019 की तिथि | Aja Ekadashi 2019 Tithi
- 26 August 2019
अजा एकादशी 2019 शुभ मुहूर्त | Aja Ekadashi 2019 Subh Mahurat
- एकादशी प्रारंभ -सूबह 7 बजकर 3 मिनट से (26 August 2019)
- एकादशी अंत- सूबह 5 बजकर 10 मिनट तक (27 August 2019)
- एकादशी पारण का समय- दोपहर 1 बजकर 39 मिनट से शाम 4 बजकर 12 मिनट तक
अजा एकादशी व्रत कथा | Aja Ekadasih 2019 Vrat Katha
पौराणिक काल में अयोध्या नगरी में एक चक्रवर्ती राजा राज्य करता था। उसका नाम हरिश्चन्द्र था। वह अत्यन्त वीर, प्रतापी तथा सत्यवादी था। प्रभु इच्छा से उसने अपना राज्य स्वप्न में एक ऋषि को दान कर दिया और परिस्थितिवश उसे अपनी स्त्री और पुत्र को भी बेच देना पड़ा। स्वयं वह एक चाण्डाल का दास बन गया। उसने उस चाण्डाल के यहाँ कफन लेने का काम किया, किन्तु उसने इस आपत्ति के काम में भी सत्य का साथ नहीं छोड़ा। जब इसी प्रकार उसे कई वर्ष बीत गये तो उसे अपने इस नीच कर्म पर बड़ा दुख हुआ और वह इससे मुक्त होने का उपाय खोजने लगा। वह सदैव इसी चिन्ता में रहने लगा कि मैं क्या करूँ? किस प्रकार इस नीच कर्म से मुक्ति पाऊँ? एक बार की बात है, वह इसी चिन्ता में बैठा था कि गौतम् ऋषि उसके पास पहुँचे। हरिश्चन्द्र ने उन्हें प्रणाम किया और अपनी दुख-भरी कथा सुनाने लगा।
राजा हरिश्चन्द्र की दुख-भरी कहानी सुनकर महर्षि गौतम भी अत्यन्त दुखी हुए और उन्होंने राजा से कहा- ‘हे राजन! भादों के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम अजा है। तुम उस एकादशी का विधानपूर्वक व्रत करो तथा रात्रि को जागरण करो। इससे तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे।’
महर्षि गौतम इतना कह आलोप हो गये। अजा नाम की एकादशी आने पर राजा हरिश्चन्द्र ने महर्षि के कहे अनुसार विधानपूर्वक उपवास तथा रात्रि जागरण किया। इस व्रत के प्रभाव से राजा के सभी पाप नष्ट हो गये। उस समय स्वर्ग में नगाड़े बजने लगे तथा पुष्पों की वर्षा होने लगी। उसने अपने सामने ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा देवेन्द्र आदि देवताओं को खड़ा पाया। उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित तथा अपनी पत्नी को राजसी वस्त्र तथा आभूषणों से परिपूर्ण देखा।
व्रत के प्रभाव से राजा को पुनः अपने राज्य की प्राप्ति हुई। वास्तव में एक ऋषि ने राजा की परीक्षा लेने के लिए यह सब कौतुक किया था, परन्तु अजा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ऋषि द्वारा रची गई सारी माया समाप्त हो गई और अन्त समय में हरिश्चन्द्र अपने परिवार सहित स्वर्ग लोक को गया।
अजा एकादशी व्रत विधि | Aja Ekadashi 2019 Vrat Vidhi
अन्य एकादशियों की तरह अजा एकादशी व्रत नियमों का पालन भी दशमी के दिन से करना करना चाहिए। नियमों के अनुसार दशमी के दिन मसूर की दाल, चना, करोदें, शाक आदि भोजन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन ग्रहण करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें। अजा एकादशी व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर नित्यक्रियाओं से मुक्त होना चाहिए। पूरे घर को जल से शुद्ध करना चाहिए तथा इसके बाद तिल के तेल या मिट्टी के लेप से स्नान करना चाहिए।
स्नान के बाद व्रत संकल्प लेकर भगवान श्रीहरि का पूजन करना चाहिए। पूजा के स्थान पर भगवान विष्णु जी की प्रतिमा के साथ एक कलश रखने का विधान हैं। इसके बाद विष्णु जी की धूप, फल, फूल, दीप, पंचामृत आदि से पूजा करनी चाहिए। अजा एकादशी व्रत की कथा सुने अथवा सुनाये। आरती करें। उपस्थित लोगों में प्रसाद वितरित करें। रात्रि जगरण करें। द्वादशी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान करें। श्रीविष्णु भगवान की पूजा करें। ब्राह्मणों को भोजन करायें । उसके उपरांत स्वयं भोजन ग्रहण करें।
अजा एकादशी व्रत महात्म्य | Importance Of Aja Ekadashi 2019 Vrat
जो मनुष्य इस उपवास को विधानपूर्वक करते हैं तथा रात्रि-जागरण करते हैं, उनके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और अन्त में वे स्वर्ग को प्राप्त करते हैं। इस एकादशी व्रत की कथा के श्रवण मात्र से ही अश्वमेध यज्ञ के फल की प्राप्ति हो जाती है।
सम्पूर्ण पौराणिक कहानियाँ यहाँ पढ़े – पौराणिक कथाओं का विशाल संग्रह
अन्य संबंधित लेख
- एकादशी के दिन चावल और चावल से बनी चीजें क्यों नहीं खानी चाहिए?
- एकादशी के उपाय | Ekadashi Ke Upay
- एकादशी के दिन वर्जित है ये 11 काम
Join the Discussion!