Mujhe Achcha Lagta Hai – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित कविता ‘मुझे अच्छा लगता हैं’
‘मुझे अच्छा लगता हैं’
शून्य में निहारना
मुझे अच्छा लगता हैं
निशा में नभ को
नटखट तारों को
चन्द्र का धवल चेहरा
मेघों का घना पेहरा
पत्तों से चंदा का झांकना
चंद्रिका में मन को नहलाना
अच्छा लगता हैं
शून्य…………… लगता हैं|1|
शहर से दूर एकांत में
झील किनारे शांत में
हथेली कंकर लिए
शांत जल को दिए
जल में लहरों का घूमना
लहरों में मुझे डूबना
अच्छा लगता हैं
शून्य………… लगता हैं|2|
गगन चुम्बी पर्वत शिखर
बरखा जल से जाते निखर
व्योम विचरण करता खग दल
सरिता निर्झर का कल कल जल
नीर का निर्मल मधुर संगीत
संगीत के सुरों में खोना
अच्छा लगता हैं|
शून्य…………. लगता हैं|3|
निर्जन वन में जाना
खुद को उसमें रमाना
फल फूल कलियों का खिलना
समीर में गुल गंध मिलना
डाल पात पत्तों के घर
चूजों का दाना चुगना
अच्छा लगता हैं
शून्य………. लगता हैं|4|
अंबर में कुमकुम सी लाली
लाली में संध्या मतवाली
कण तृण जन मन उज्ज्वल
कनक से लगते पल पल प्रतिपल
दिनकर जाता जब अपने घर
ऐसे में सन्ध्या का सिमटना
अच्छा लगता है
शून्य………. लगता हैं|5|
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Mujhe Achcha Lagta Hai
- मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित रचनाएं-
- काह्ना
- प्रेम गीत – ‘संझा देखो फूल रहीं है’
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