Jan Jan Jhum Rha Hai – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित कविता ‘जन जन झूम रहा हैं’
जन जन झूम रहा हैं| (Jan Jan Jhum Rha Hai)
आंगन में जन जन घूम रहा हैं|
गरबे में मस्ति में झूम रहा हैं|
चांदी सा मंदिर चमक गया हैं|
सुमन सुगंध से महक गया हैं|
सारे,दुख दर्द भूल गये हैं|
जिह्वा पर माता जी का नाम रहा हैं|
आंगन में……………झूम रहा हैं|1|
सतरंग रंग की रंगोली बनी हैं|
सारी बालाओं की टोली बनी हैं|
गांव गांव गोकुल सा सज रहा हैं|
हर गांव गोकुल धाम लग रहा हैं|
आंगन में…………झूम रहा हैं|2|
सजधज के हर गौरी आई हैं|
अपने अपने ग्वाले को संग लाई हैं|
वृन्दावन सा देखो रास रच रहा हैं|
कोई राधा तो कोई श्याम बन रहा हैं|
आंगन में………….झूम रहा हैं|3|
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित रचनाएं-
- काह्ना
- प्रेम गीत – ‘संझा देखो फूल रहीं है’
- ‘मुझे अच्छा लगता हैं’
- ‘भारत पुण्य धरा हैं प्यारी’
- रुढ़ कर तुम मुझसे कहां जाओगी
- कही से महक आई हैं
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