Pushp Vatika Me Siyarama Kavya Rachna In Hindi – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित रचना ‘पुष्प वाटिका में सीया राम’
पुष्प वाटिका में सीया राम (Pushp Vatika Me Siyarama)
पुष्प वाटिका में राम आएं
संग में अपने लखन को लाएं
राम की सूरत सीया ने देखी
देख के तन मन सुध बुध खो दी
मोहिनी मूरत नैना विशाल हैं
मंद समीर सी चाल ढाल हैं
मंयक मुख में राजीव नयन हैं
अधर गुलाब गुलों का चमन हैं
कर्ण में कुण्ड़ल ग्रीवा माल हैं
कुमकुम तिलक भाल लाल हैं
शीश मुकुट अरु झांकते बाल हैं
भुजा में भुजबंध वक्ष विशाल हैं
अधर मधुर मंद मुस्कान हैं
रघुवर की नजरें अनजान हैं
सहसा सीया को राम ने देखा
दर्पण में जैसे स्वयं को देखा
रंग रुप सीता का ऐसा
कोमल मखमल फूलों जैसा
अधरों बीच दंतों की पंक्ति
मानो अंबर तारों की अवली
मन सीता का सरोवर जैसा
निर्मल शांत सलिल के जैसा
चंचल चक्षु में कुछ हलचल
राम निहारती पल पल प्रतिपल
मन ही मन संवाद करें हैं
राम को कुछ कहने से डरे हैं
जब जब भी नजरें मिलती हैं
परदें सी पलकें गीरती हैं
रघुवर देख सीता सकुचाई
मंद मंद फिर वह मुस्काई
मन ही मन नमन किया हैं
रघुवर ने आशीष दिया हैं
पुष्प चुनते राम सीया का
प्रियतम अरु आज प्रिया का
हृदय पुष्प दोनों का खिला हैं
पुष्प वाटिका में मिलन हुआ हैं
राम ने कहा! कैसी हो सीते
हमरे बिन दिन कैसे बिते
बिना चंद्र चकोरी जैसे
बिना नीर कमलिनी जैसे
आप बिन सब रीते रीते
रैन दिवस एक से बिते
राम ने कहा सुनो जानकी
बात आ गई मान सम्मान की
अब शिव धनु भंजन होगा
नव युग का अब सृजन होगा
चित्त से तुम चिंता को भगाओ
जाओ!जयमाला को सजाओ
जन जन अब देखेगा सारा
दानव विहीन होगा जग सारा
वन गमन की करो तैयारी
कर्म करने की आई बारी
सीता बोली जो आज्ञा स्वामी
मैं आपकी हूं अनुगामी
सीता ने सखियों संग अपने
कदम बढ़ाएं निज महल को चल दी
रैन हुई निशाकर आए
मयंक देख राम मुस्काए
लखन ने राम मन को भांपा
भैया खो गए निज आपा
जैसे चंद्र चकौरी देखे
वैसे राम विधु को देखे
विधु मुख सीया मुख बना हैं
रघुवर हृदय गगन बना हैं
नयन पथ मुख हृदय बसा हैं
जानकी चंद्र से हृदय सजा हैं
अधर लिए मुस्कान राम ने
निज पलकें मूंद ली राम ने
रघुवर देखे सीया की सूरत
पुष्पवाटिका में जो देखी मूरत
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
राजसमन्द
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