विश्व रेड क्रॉस दिवस | History Of World Red Cross Day – 8 मई को विश्व रेड क्रॉस दिवस हेनरी डुनेंट के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। हेनरी डुनेंट इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास के संस्थापक थे तथा उन्हें नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इस दिन लोग रेड क्रॉस वॉलिंटियर्स को जरूरतमंद लोगों की मदद करने में उनके योगदान के लिए श्रद्धांजलि देते हैं।

History Of World Red Cross Day
आप सब भी अपने आस-पास व अपने जीवन में आये वॉलिंटियर्स और कर्मचारियों का अभिवादन करे। इस समय हम वैश्विक महामारी कोरोना से जूझ रहे है। इस महामारी में COVID -19 से लड़ने वाले दुनिया भर के वॉलिंटियर्स और कर्मचारियों के लिए आज और हमेशा उनके लिए तालियां बजाएं, उनका शुक्रिया करे, और अभिवादन करे। सदैव उनका सम्मान करे और दूसरों को भी यह सब करने के लिए प्रेरित करे।
रेड क्रास क्या है?
रेड क्रास एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। इसका मुख्यालय स्विटजरलैंड के जेनेवा में है। इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास और कई नेशनल सोसायटी इसका संचालन करती है। इंटरनेशनल कमेटी ऑफ रेड क्रास के संस्थापक हेनरी डुनेंट थे। हेनरी डुनेंटको नोबल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। 1984 में आधिकारिक तौर पर इसका नाम वर्ल्ड रेड क्रास एंड क्रिसेंट डे रखा गया।
महत्त्व –
दुनियाभर में रेड क्रॉस चिन्ह जरूरतमंद लोगों के प्रति एक निष्पक्ष और गैर पक्षपातपूर्ण सेवा का प्रतीक रहा है । इस चिन्ह का इस्तेमाल किसी भी दशा में किसी भी तरह के फायदे के उद्देश्य से नहीं किया जा सकता । यह चिन्ह पीड़ितों के लिए एक उम्मीद की किरण होने के साथ-साथ उन लोगों के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम करता है सो विषम परिस्थितियों में भी पीड़ितों की सहायता के लिए जाते हैं । और यही कारण है की इस चिन्ह का इस्तेमाल केवल उन्हीं लोगों द्वारा होना चाहिए जो आधिकारिक रूप से इसके लिए चुने गये हों । इस चिन्ह का इस्तेमाल केवल सेना के चिकित्सक जवानों, अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट मूवमेंट के द्वारा ही किया जा सकता है ।
उद्देश्य –
रेड क्रॉस सोसाइटी का मुख्य उद्देश्य मूल रूप से किसी भी समय और परिस्थितियों में सभी प्रकार की मानवीय गतिविधियों को प्रेरित करना, आरंभ करना, प्रोत्साहित करना और युद्ध या विपदा के समय होने वाली कठिनाइयों से लोगों को राहत दिलाना है। रेड क्रॉस सोसाइटी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों को मोटे तौर पर मानवीय सिद्धांतों और मूल्यों के प्रचार सहित चार भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जिनमें प्राथमिक सहायता, आपातकाल में मदद, हेल्थ और समाज सेवा, शर्णार्थी की सेवा करने में मदद करना शामिल हैं. इसके अलावा यह संस्था ब्लड बैंक से लेकर विभिन्न तरह की स्वास्थ्य और समाजसेवाओं में अग्रणी भूमिका निभाती है। दुनिया के लगभग 210 देश इस संस्था से जुड़े हुए हैं।
सिद्धांत –
रेड क्रास डे के प्रमुख सिद्धांत निम्न हैं
- निष्पक्षता
- मानवता
- स्वतंत्रता
- तटस्थता
- एकता
- स्वैच्छिक
- सार्वभौमिकता
रेड क्रॉस चिन्ह का इतिहास (History Of Red Cross Sign)
रेड क्रॉस –
1863 में जिनेवा में एक अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया जिसका मकसद था, युद्ध या संघर्ष की स्थिति में मेडिकल सहायता करने वालों के लिए कुछ ऐसा करना ताकि उन्हें बाकी लोगों के बीच आसानी से पहचाना जा सके। कांफ्रेंस में सफ़ेद पृष्ठभूमि में लाल रेड क्रॉस के चिन्ह को युद्धक्षेत्र में मेडिकल सहायता पहुंचाने वाले लोगों को अलग पहचान देने के लिए चुन लिया गया ।
इसका मतलब ये था की युद्ध या संघर्ष के समय रेड क्रॉस के चिन्ह के साथ जा रहे व्यक्ति पर न तो हमला किया जा सकता है और ना ही उसे बंदी बनाया जा सकता है । इसके अलावा रेड क्रॉस के चिन्ह के साथ, पीड़ित भी उन्हें आसानी से पहचान पाते हैं । 1864 के पहले जिनेवा कन्वेंशन में आधिकारिक रूप से घोषणा की गयी की रेड क्रॉस के चिन्ह को सेना के मेडिकल सर्विस में भी इस्तेमाल किया जा सकता है ।
रेड क्रिसेंट –
सभी देश इस चिन्ह से असहमत थे। कुछ देशों ने अपने लिए अलग चिन्ह चुने । ओटोमन साम्राज्य तथा इजिप्ट ने रेड क्रॉस की जगह रेड क्रिसेंट को चिन्ह के तौर पर चुना। पर्शिया ने सफ़ेद पृष्ठभूमि पर लाल शेर के निशान को चुना । इन सभी चिन्हों को 1929 के कन्वेंशन में मान्यता दे दी गयी और इसी के साथ-साथ 1949 में पहले जिनेवा कन्वेंशन के 38वें आर्टिकल में रेड क्रॉस, रेड क्रिसेंट, लाल शेर और सफ़ेद पृष्ठभूमि में सूरज के निशान को सेना के मेडिकल सर्विस में इस्तेमाल करने की इज़ाज़त भी दे दी गयी । 1980 में द इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ़ ईरान ने लाल शेर और सूरज के निशान के जगह रेड क्रिसेंट चिन्ह को अपना लिया ।
रेड क्रिस्टल –
रेड क्रिसेंट को उसके आकार के कारण कई देशों में धार्मिक भावना से जोड़कर देखा जाने लगा । और इसी गतिरोध को समाप्त करने के लिए दिसम्बर 2005 में एक डिप्लोमेटिक कांफ्रेंस का आयोजन स्विट्ज़रलैंड में किया गया जहाँ तीसरे चिन्ह यानी रेड क्रिस्टल को रेड क्रॉस और रेड क्रिसेंट के जैसी मान्यता दी गयी ।
तो इस तरह बने रेड क्रॉस के तीन सेवा में समर्पित चिन्ह – रेड क्रॉस (1864), रेड क्रिसेंट (1929), रेड क्रिस्टल (2005) ।
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