Mandir Ka Aangan - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'मंदिर का आंगन' 'मंदिर का आंगन' (Mandir Ka Aangan) नव दिन,नव रात| प्रतिदिन सुबह शाम| नव माता सम्मुख, एक दीप तो जलाइएं|1| कुमकुम अगरबत्ती| फूलमाला,फूल पत्ति| अक्षत गुड़ दीप से, थाल को सजाइएं|2| मंदिर के आंगन में| रात रात जागरण में| भक्ति में झूम झूम, भजन सुनाइएं|3| दीपमाला बिजली| जगमग रोशनी| आंगन फैलाकर, अंधकार … [Read more...]