ग़ज़ल - तो देखते (To Dekhte)तो देखते (To Dekhte)उनकी अदाएँ उनके मोहल्ले में चलते तो देखते,वो भी कभी यूँ मेरे क़स्बे से गुज़रते तो देखते।बस दीद की उनकी ख़ाहिश लेकर भटकता हूँ शहर में,लेकिन कभी तो वह भी राह गली में दिखते तो देखते।केवल बहाना है यह मेरा चाय पीना उस चौक पे,सौदा-सुलफ़ लेने वह भी घर से निकलते तो देखते।हर रोज़ उनको बिन देखे ही लौट आने के बाद मैं,अफ़सोस करता हूँ कि थोड़ा और ठहरते तो देखते।मैं बा-अदब … [Read more...]
कविता – नज़ारें
कविता - नज़ारेंदेखते ही खूबसूरत नज़ारें ...एक चित्रकार उतार लेता हैनज़ारों को कैनवास पर,एक फ़ोटोग्राफ़र क़ैद कर लेता हैउन नज़ारों को कैमरे में,और एक कवि अपनी कविता में।।और मैं ...देखता रह जाता हूँउन नज़ारों को,उन में खोए हुएदिल में उतारता चला जाता हूँ,उनमें जीता चला जाता हूँ।- अमित राज श्रीवास्तव Poem - NazareDekhte Hi Khubsurat Nazare.....Ek Chitrakaar Utaar Leta HaiNazron Ko Canvas Par,AurEk Kavi Apni … [Read more...]