ग़ज़ल - इक लगन तिरे शहर में जाने की लगी हुई थी (Ik Lagan Tire Shahar Me Jane Ki Lagi Hui Thi)अमित राज श्रीवास्तव की ग़ज़लों से 10 बेहतरीन शायरीग़ज़ल इक लगन तिरे शहर में जाने की लगी हुई थीइक लगन तिरे शहर में जाने की लगी हुई थी,आज जा के देखा मुहब्बत कितनी बची हुई थी।आपसे जहाँ बात फिर मिलने की कभी हुई थी,आज मैं देखा गर्द उन वादों पर जमी हुई थी।लग रही थी हर रहगुज़र वीराँ हम जहाँ मिले थे,सिर्फ़ ख़ूब-रू एक … [Read more...]
वो एक मुद्दत का इश्क़ -अमित राज श्रीवास्तव
कविता- वो एक मुद्दत का इश्क़ (Wo Ek Muddat Ka Ishq)वो एक मुद्दत का इश्क़ बहुत बेचैन होता हूँआपकी हर एक बातों से,इश्क़ भी पनपता हैं कहीं दिल मेंपर एक अजीब विडंबना है।मेरा बेचैन होना, इश्क़ का पनपनामुझे बेवफ़ा बनाती है,उस एक नाकामयाब एक तरफा इश्क़ के प्रति।वो एक मुद्दत का इश्क़।तब नासमझ था कुछ बोल नहीं पायाकि बहुत इश्क़ हैं उससे,आज समझा हूँ कुछ बोल नहीं पाऊँगाकि कुछ नहीं है तुमसे।अब भी चाहत है दिल मेंउस … [Read more...]