Bansuri Ban Jau - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'बांसुरी बन जाऊं' 'बांसुरी बन जाऊं' (Bansuri Ban Jau) जी चाहता है,बांसुरी बन जाऊं| तेरे अधरों पर सज जाऊं| अधर सुधारस पी पी कर के| मधु सुमधुर सुर बरसाऊं| जी चाहता है,बांसुरी बन जाऊं|1| जी चाहता है,पुष्प बन जाऊं| सुमन सुगंध से सांसें महकाऊं| मनमोहक मनोहर माला बन| श्रृंगारित तन का अंग बन जाऊं| जी चाहता है,बांसुरी बन … [Read more...]