Mohammad Ibrahim Zauq (मोहम्मद इब्राहिम ज़ौक़) (1789-1854) Ibrahim Zauq Shayari ***** 1 नाज है गुल को नजाकत पै चमन में ऐ 'जौक' उसने देखे ही नहीं नाजो-नजाकत वाले Naaz hai gul ko nazaakat pe chaman mein ae Jauk Usne dekhe hi nahin naazo-nazaakat waale ***** 2 निगाहे-कहर* के मारे जब इतने खुश है तो फिर निगाहे-लुत्फ* के मारों का हाल क्या होगा? निगाहे-कहर - कोप-दृष्टि, निगाहे-लुत्फ – … [Read more...]