Jaise Ghunghru Bajte Ho - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'जैसे घुंघरू बजते हो' 'जैसे घुंघरू बजते हो' (Jaise Ghunghru Bajte Ho)बादल ने बूंदें बरसाई|धरती ने श्रृंगार किया|बयार मधुर स्वर हो चली|जैसे घुंघरू बजते हो|1|कली कली खिल गई|फूल फूल महक गयें|मधुप गुंजन कर रहा|जैसे घुंघरू बजते हो|2|निर्झर झर झर झरता जल|कल कल पल पल नदियां का जल|निर्झर सरिता का बहता जल|जैसे घुंघरू बजते … [Read more...]