ग़ज़ल - सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम (Suno To Mujhe Bhi Jara Tum)सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम (Suno To Mujhe Bhi Jara Tum)सुनो तो मुझे भी ज़रा तुमबनो तो मिरी शोअरा तुमये सोना ये चाँदी ये हीराहै खोटा मगर हो खरा तुमतिरा ज़िक्र हर बज़्म में हैसभी ज़िक्र से मावरा तुममिरी कुछ ग़ज़ल तुम कहो अबख़बर है हो नुक्ता-सरा तुममिलो भी कभी घर पे मेरेकरो चाय पर मशवरा तुमथी ये दोस्ती कल तलक ही,हो अब 'अर्श' की दिलबरा तुम।- अमित राज … [Read more...]
ग़ज़ल – इश्क़ से गर यूँ डर गए होते
ग़ज़ल - इश्क़ से गर यूँ डर गए होते (Ishq Se Gar Yun Dar Gaye Hote)ग़ज़ल इश्क़ से गर यूँ डर गए होतेइश्क़ से गर यूँ डर गए होते,छोड़ कर यह शहर गए होते।मिल गए हमसफ़र से हम वर्ना,आज तन्हा किधर गए होते।होश है इश्क़ में ज़रूरी अब,बे-ख़ुदी में तो मर गए होते।यूँ कभी याद चाय की आती,और हम तेरे घर गए होते।वक़्त मिलता नहीं हमे अब तो,'अर्श' थोड़ा ठहर गए होते।- अमित राज श्रीवास्तव "अर्श" Amit Raj Shrivastava Best … [Read more...]
वो एक मुद्दत का इश्क़ -अमित राज श्रीवास्तव
कविता- वो एक मुद्दत का इश्क़ (Wo Ek Muddat Ka Ishq)वो एक मुद्दत का इश्क़ बहुत बेचैन होता हूँआपकी हर एक बातों से,इश्क़ भी पनपता हैं कहीं दिल मेंपर एक अजीब विडंबना है।मेरा बेचैन होना, इश्क़ का पनपनामुझे बेवफ़ा बनाती है,उस एक नाकामयाब एक तरफा इश्क़ के प्रति।वो एक मुद्दत का इश्क़।तब नासमझ था कुछ बोल नहीं पायाकि बहुत इश्क़ हैं उससे,आज समझा हूँ कुछ बोल नहीं पाऊँगाकि कुछ नहीं है तुमसे।अब भी चाहत है दिल मेंउस … [Read more...]