महाराज दिलीप और इन्द्र में मित्रता थी। एक बार राजा दिलीप स्वर्ग गये, लौटते समय मार्ग में कामधेनु मिली, किन्तु शीघ्रता के कारण दिलीप ने उसे देखा नहीं, न प्रणाम किया। इससे रुष्ट हो कामधेनु ने शाप दिया --- 'मेरी संतान की कृपा के बिना यह पुत्र हीन ही रहेगा।' यह भी पढ़े - कहानी राजा भरथरी (भर्तृहरि) की – पत्नी के धोखे से आहत होकर बन गए तपस्वी दिलीप को शाप का पता नहीं था। किन्तु पुत्र न होने से … [Read more...]