Nhi Aata Poem In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'नहीं आता' (Nhi Aata Poem In Hindi ) 'नहीं आता' झूठ छल कपट दिखाना नहीं आता| शायद!इसलिए हमें कमाना नहीं आता|1| खुदा के बंदे है ईमान पर कायम है| बेईमानी से नाम कमाना नहीं आता|2| हमने प्रेम किया है प्रेम को जीया है| नफरतों में हमें नहाना नहीं आता|3| दयाभाव हमने संस्कारों से पाया है| हमें किसी को भी सताना नहीं … [Read more...]
‘बांसुरी बन जाऊं’ – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Bansuri Ban Jau - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'बांसुरी बन जाऊं' 'बांसुरी बन जाऊं' (Bansuri Ban Jau) जी चाहता है,बांसुरी बन जाऊं| तेरे अधरों पर सज जाऊं| अधर सुधारस पी पी कर के| मधु सुमधुर सुर बरसाऊं| जी चाहता है,बांसुरी बन जाऊं|1| जी चाहता है,पुष्प बन जाऊं| सुमन सुगंध से सांसें महकाऊं| मनमोहक मनोहर माला बन| श्रृंगारित तन का अंग बन जाऊं| जी चाहता है,बांसुरी बन … [Read more...]
‘जैसे घुंघरू बजते हो’- मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Jaise Ghunghru Bajte Ho - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'जैसे घुंघरू बजते हो' 'जैसे घुंघरू बजते हो' (Jaise Ghunghru Bajte Ho) बादल ने बूंदें बरसाई| धरती ने श्रृंगार किया| बयार मधुर स्वर हो चली| जैसे घुंघरू बजते हो|1| कली कली खिल गई| फूल फूल महक गयें| मधुप गुंजन कर रहा| जैसे घुंघरू बजते हो|2| निर्झर झर झर झरता जल| कल कल पल पल नदियां का जल| निर्झर सरिता का बहता … [Read more...]
मंदिर का आंगन – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Mandir Ka Aangan - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'मंदिर का आंगन' 'मंदिर का आंगन' (Mandir Ka Aangan) नव दिन,नव रात| प्रतिदिन सुबह शाम| नव माता सम्मुख, एक दीप तो जलाइएं|1| कुमकुम अगरबत्ती| फूलमाला,फूल पत्ति| अक्षत गुड़ दीप से, थाल को सजाइएं|2| मंदिर के आंगन में| रात रात जागरण में| भक्ति में झूम झूम, भजन सुनाइएं|3| दीपमाला बिजली| जगमग रोशनी| आंगन फैलाकर, अंधकार … [Read more...]
कही से महक आई हैं – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Kahi Se Mahak Aayi Hai - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'कही से महक आई हैं' कही से महक आई हैं (Kahi Se Mahak Aayi Hai) कही से महक आई हैं| लगता है कि तू आई है| दुपट्टा भी लहराने लगा| लगता है हवा आई है| बिजली चमकने लगी है| बूंदें बरसने लगी हैं| शीतल पवन बह चली| तुने जुल्फें बिखराई हैं| चांद चमकने लगा है| उजाला होने लगा है| चांदनी खिलने लगी| चेहरे से जुल्फें हटाई … [Read more...]
जन जन झूम रहा हैं – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Jan Jan Jhum Rha Hai - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'जन जन झूम रहा हैं' जन जन झूम रहा हैं| (Jan Jan Jhum Rha Hai) आंगन में जन जन घूम रहा हैं| गरबे में मस्ति में झूम रहा हैं| चांदी सा मंदिर चमक गया हैं| सुमन सुगंध से महक गया हैं| सारे,दुख दर्द भूल गये हैं| जिह्वा पर माता जी का नाम रहा हैं| आंगन में...............झूम रहा हैं|1| सतरंग रंग की रंगोली बनी हैं| सारी बालाओं … [Read more...]
रुढ़ कर तुम मुझसे कहां जाओगी – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Ruth Kar Tum Mujhse Kahan Jaogi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'रुढ़ कर तुम मुझसे कहां जाओगी' 'रुढ़ कर तुम मुझसे कहां जाओगी' Ruth Kar Tum Mujhse Kahan Jaogi रुढ़ कर तुम मुझसे कहां जाओगी| लौट कर फिर तुम तो यहां आओगी| रुढ़ कर तुम मुझसे कहा जाओगी| मैं तो भंवरे सा बस गुनगुनाता रहा| गोल - गोल चक्कर मैं लगाता रहा| शरद पूनम का तुम चांद हो चली| चांदनी में बस मैं नहाता … [Read more...]
प्रेम गीत – ‘संझा देखो फूल रहीं है’
Rajasthani Prem Geet - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित प्रेम गीत 'संझा देखो फूल रहीं है' 'प्रेम गीत' 'संझा देखो फूल रहीं है' संझा देखो फूल रहीं है, चंदन जैसी महक रहीं है| फलक के आनन की खुशी यूं, लालिमा में झलक रहीं है| संझा.....महक रहीं है|1| सांझ सुहानी परी - सी लगती| लबों की लाली खीली - सी लगती| बादल - बाल बिखेर बिखेर के, यौवन में वो चहक रहीं है| संझा.....महक रहीं … [Read more...]
‘मुझे अच्छा लगता हैं’ – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Mujhe Achcha Lagta Hai - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'मुझे अच्छा लगता हैं' 'मुझे अच्छा लगता हैं' शून्य में निहारना मुझे अच्छा लगता हैं निशा में नभ को नटखट तारों को चन्द्र का धवल चेहरा मेघों का घना पेहरा पत्तों से चंदा का झांकना चंद्रिका में मन को नहलाना अच्छा लगता हैं शून्य............... लगता हैं|1| शहर से दूर एकांत में झील किनारे शांत में हथेली कंकर लिए शांत … [Read more...]
‘भारत पुण्य धरा हैं प्यारी’- मनीष नंदवाना
Bharat Puny Dhara Hai Pyasi - आप सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। स्वतंत्रता दिवस पर पेश है मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित कविता 'भारत पुण्य धरा हैं प्यारी' यह भी पढ़े - काह्ना 'भारत पुण्य धरा हैं प्यारी' भारत पुण्य धरा हैं प्यारी । रजत हिम के कण कण में, शांति पाती हैं,मानव जाती । भारत...............प्यारी । गंगा के पावन जल से, लहराती हैं केसर क्यारी … [Read more...]