Men's Day Poem | पुरुष दिवस पर कविता | International Men's Day Poem | Hindi | Kavita ***** अक्सर सुना है, पुरुषों का समाज है। तुम्हारे ही हिसाब से चलता है और, तुम्हारी ही बात करता है। पर सच शायद थोड़ा अलग है॥ देखा है मैंने कितनों को, इस पुरुषत्व का बोझ ढोते। मन मार कर जीते और, चुपचाप आँसुओं का घूंट पीते॥ हकीक़त की चाबुक से, रोज मार खाते सपने। रोज़ी रोटी के जुगाड़ से, जुड़े सारे … [Read more...]