Yaksha Yudhisthira Samvad in Hindi : महाभारत युद्ध पांडवों ने जीता था और इस जीत में भीम और अर्जुन की भूमिका महत्वपूर्ण थी। अर्जुन ने भीष्म आदि सभी महारथियों को हराया था। भीम ने दुर्योधन और उसके सभी भाइयों को मार दिया था। ये बात तो अधिकतर लोग जानते हैं, लेकिन ये बात कम ही लोग जानते हैं कि युद्ध से कुछ समय पहले ही भीम और अर्जुन के साथ नकुल, सहदेव भी मर चुके थे। इन चारों भाइयों को पुर्नजीवित करवाया था युधिष्ठिर ने। महाभारत के रोचक प्रसंग में जानिए चारों पांडव कैसे मृत्यु को प्राप्त हुए और युधिष्ठिर ने किस प्रकार उन्हें पुर्नजीवित करवाया था…
ये है पूरा प्रसंग…
द्युत क्रीड़ा में हारने के बाद पांडवों को बारह वर्ष का वनवास और एक वर्ष का अज्ञातवास स्वीकार करना पड़ा। अज्ञातवास से पूर्व वनवास के अंतिम समय में एक दिन पांचों पांडव वन में घूमते-घूमते थक गए थे, सभी को प्यास भी लगी थी। तब युधिष्ठिर ने नकुल को वन में पानी तलाशने और पानी लेकर आने के लिए कहा। नकुल ने जल्दी ही एक तालाब खोज लिया। नकुल भी प्यास के कारण बेहाल था, इसलिए तालाब पर पहुंचते ही पानी पीने लगा। तभी वहां एक आकाशवाणी हुई कि पानी पीने से पहले तुम्हें मेरे सवालों के जवाब देना होंगे। नकुल ने इस आवाज की ओर ध्यान नहीं दिया और पानी पी लिया। पानी पीते ही नकुल वहीं गिर पड़ा और मृत्यु को प्राप्त हुआ।
दूसरी ओर चारों पांडव नकुल का इंतजार कर रहे थे। बहुत देर तक जब नकुल नहीं पहुंचा तो युधिष्ठिर ने सहदेव को नकुल और पानी की खोज में भेजा। सहदेव उसी सरोवर पर पहुंच गया। सहदेव भी बहुत प्यासा था तो वह पानी पीने के लिए आगे बढ़ा, तभी आवाज आई कि पानी पीने से पहले मेरे सवालों के जवाब देना होंगे। सहदेव ने भी इसे अनसुना कर दिया और पानी पी लिया। पानी पीते ही वह भी वहीं निर्जीव होकर गिर पड़ा।
इसके बाद युधिष्ठिर ने अर्जुन को भेजा। अर्जुन के साथ भी ऐसा ही हुआ। फिर भीम को भेजा। भीम भी इसी प्रकार मृत्यु को प्राप्त हो गया। जब चारों भाई बहुत देर तक युधिष्ठिर के पास नहीं पहुंचे तो युधिष्ठिर स्वयं उन्हें खोजने के लिए निकल गए। युधिष्ठिर भी उस सरोवर तक पहुंच गए। वहां चारों भाई मृत दिखाई दिए। चारों भाइयों की मृत्यु का रहस्य युधिष्ठिर समझ नहीं पा रहे थे। उन्हें लगा कि शायद इस सरोवर का जल पीने से इनकी मृत्यु हुई है। इस रहस्य को जानने के लिए युधिष्ठिर भी सरोवर की ओर गए। पानी पीते इससे पहले ही पुन: वही आवाज आई कि पानी पीने से पहले मेरे सवालों के जवाब दो, वरना तुम भी अपने भाइयों की तरह मारे जाओगे।
युधिष्ठिर ने पूछा कि आप कौन हैं? तब आकाशवाणी करने वाले ने बताया कि वह एक यक्ष है और इस सरोवर पर उसी का अधिकार है। यहां से पानी लेने से पहले मेरे सवालों के जवाब देना होंगे। युधिष्ठिर ने यक्ष के सभी सवालों के सही जवाब दे दिए। इससे यक्ष प्रसन्न हुआ और उसने चारों मृत पांडवों को भी पुन: जीवित कर दिया।
पढ़िए यक्ष और युधिष्ठिर के बीच कौन-कौन से रोचक सवाल-जवाब हुए…
यक्ष- पृथ्वी से भी भारी क्या है? आकाश से भी ऊंचा क्या है? वायु से भी तेज चलनेवाला क्या है? तिनकों से भी अधिक संख्या में क्या है?
युधिष्ठिर- पृथ्वी से भी भारी यानी बढ़कर है मां। आकाश से ऊंचे हैं पिता। मन वायु से तेज चलता है और चिंता की संख्या तिनकों से भी अधिक है।
यक्ष- सो जाने पर पलक कौन नहीं मुंदता है? उत्पन्न होने पर चेष्टा कौन नहीं करता? हृदय किसमें नहीं है? वेग से कौन बढ़ता है?
युधिष्ठिर- मछली सो जाने पर भी पलक नहीं मुंदती है। अंडा उत्पन्न होने पर भी चेष्टा नहीं करता। पत्थर में हृदय नहीं है और नदी वेग से बढ़ती है।
यक्ष- विदेश में जाने वाले का मित्र कौन है? घर में रहने वाले का मित्र कौन है? रोगी का मित्र कौन है? मृत्यु के करीब पहुंचे व्यक्ति का मित्र कौन है?
युधिष्ठिर- विदेश में जाने वाले के मित्र सहयात्री (साथ में जाने वाले लोग) होते हैं। घर में जीवन साथी मित्र होता है। रोगी का मित्र होता है वैद्य। मृत्यु के करीब पहुंचे व्यक्ति का मित्र है दान।
यक्ष- समस्त प्राणियों का अतिथि कौन है? सनातन धर्म क्या है? अमृत क्या है? यह सारा जगत क्या है?
युधिष्ठिर- अग्नि समस्त प्राणियों के लिए अतिथि है। नष्ट न होना वाला नित्य धर्म ही सनातन धर्म है। गौ यानी गाय का दूध अमृत है। यह सारा जगत वायु है।
यक्ष- अकेला कौन विचरता है? एक बार उत्पन्न होकर पुन: कौन उत्पन्न होता है? शीत (ठंड) की औषधि क्या है?
युधिष्ठिर- सूर्य अकेला विचरता है। चंद्रमा एक बार जन्म लेकर पुन: जन्म लेता है। शीत की औषधि अग्नि है।
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