Renuka ji, Himachal: History & Story in Hindi- मां-पुत्र के पावन मिलन का श्री रेणुका जी मेला हिमाचल प्रदेश के प्राचीन मेलों में से एक है। जो हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दशमी से पूर्णिमा तक उत्तरी भारत के प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री रेणुका में मनाया जाता है। जनश्रुति के अनुसार इस दिन भगवान परशुराम जामूकोटी से वर्ष में एक बार अपनी मां रेणुका से मिलने आते हैं।

Renuka Temple
यह मेला श्री रेणुका मां के वात्सल्य व पुत्र की श्रद्धा का एक अनूठा संगम है। यह स्थान नाहन से लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है। रेणुका झील के किनारे मां श्री रेणुका जी व भगवान परशुराम जी के भव्य मंदिर स्थित हैं।
पौराणिक सन्दर्भ
कथानक के अनुसार प्राचीन काल में आर्यवर्त में हैहय वंशी क्षत्रीय राज करते थे। भृगुवंशी ब्राह्मण उनके राज पुरोहित थे। इसी भृगुवंश के महर्षि ऋचिक के घर महर्षि जमदग्नि का जन्म हुआ। इनका विवाह इक्ष्वाकु कुल के ऋषि रेणु की कन्या रेणुका से हुआ।

Lord Parshuram
महर्षि जमदग्नि सपरिवार इसी क्षेत्र में तपस्या करने लगे। जिस स्थान पर उन्होंने तपस्या की वह तपे का टीला कहलाता है। महर्षि जमदग्नि के पास कामधेनु गाय थी जिसे पाने के लिए सभी तत्कालीन राजा, ऋषि लालायित थे। राजा अर्जुन ने वरदान में भगवान दतात्रेय से एक हजार भुजाएं पाई थीं। जिसके कारण वह सहस्त्रार्जुन कहलाए जाने लगे। एक दिन वह महर्षि जमदग्नि के पास कामधेनु मांगने पहुंचे। महर्षि जमदग्नि ने सहस्त्रबाहु एवं उसके सैनिकों का खूब सत्कार किया।
उसे समझाया कि कामधेनु गाय उसके पास कुबेर जी की अमानत है। जिसे किसी को नहीं दे सकते। गुस्साए सहस्त्रबाहु ने महर्षि जमदग्नि की हत्या कर दी। यह सुनकर मां रेणुका शोकवश राम सरोवर मे कूद गई। राम सरोवर ने मां रेणुका की देह को ढकने का प्रयास किया। जिससे इसका आकार स्त्री देह समान हो गया। जिसे आज पवित्र रेणुका झील के नाम से जाना जाता है। परशुराम अति क्रोध में सहस्त्रबाहु को ढूंढने निकल पड़े। उसे युद्ध के लिए ललकारा। भगवान परशुराम ने सेना सहित सहस्त्रबाहु का वध कर दिया।

Renuka Lake
भगवान परशुराम ने अपनी योगशक्ति से पिता जमदग्नि तथा मां रेणुका को जीवित कर दिया। माता रेणुका ने वचन दिया कि वह प्रति वर्ष इस दिन कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी को अपने पुत्र भगवान परशुराम से मिलने आया करेंगी।
मेला श्री रेणुका मां के वात्सल्य एवं पुत्र की श्रद्धा का एक अनूठा आयोजन है। पांच दिन तक चलने वाले इस मेले में आसपास के सभी ग्राम देवता अपनी-अपनी पालकी में सुसज्जित होकर मां-पुत्र के इस दिव्य मिलन में शामिल होते हैं। राज्य सरकार द्वारा इस मेले को अंतरराष्ट्रीय मेला घोषित किया गया है।
साभार: अशोक केडियाल, (सिरमौर, हिमाचल प्रदेश)
पौराणिक कहानियाँ यहाँ पढ़े – पौराणिक कथाओं का विशाल संग्रह
भगवान परशुराम से सम्बंधित अन्य लेख
- भगवान परशुराम के जीवन से जुडी रोचक बातें
- परशुराम कुण्ड – अरुणाचल प्रदेश – जहाँ मिली थी परशुराम जी को मातृ-हत्या के पाप से मुक्ति
- जानिए, अपनी माता का वध क्यों किया था परशुराम ने
- परशुराम महादेव गुफा मंदिर – मेवाड़ का अमरनाथ – स्वंय परशुराम ने फरसे से चट्टान को काटकर किया था निर्माण
- टांगीनाथ धाम – गुमला (झारखंड) – यहाँ पर आज भी है भगवान परशुराम का फरसा
Renuka Ji, Himachal, Story, Kahani, Renuka Lake,
Join the Discussion!