Ganesh Chaturthi Puja Vidhi | Ganesh Chaturthi Shubh Muhurat | भाद्रपद महीने की शुक्ल चतुर्थी को गणेश चतुर्थी का दिन मनाया जाता है। यह श्री गणेश का प्राकट्य दिवस है। इस साल 3 सितंबर 2018 को गणेश चतुर्थी मनाई जाएगी। गणेश चतुर्थी के मौके पर लोग अपने घर में गणेश की प्रतिमा को स्थापित करते हैं और उनकी विधिवत पूजन करते हैं ऐसी मान्यता है कि इस दौरान गणेश जी अपने भक्तों के आसपास ही होते हैं और उनकी पूजा स्वीकार करते हैं। गणेश जी अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। मूर्ति स्थापना 10 दिनों के लिए की जाती है और अन्नत चतुर्दशी के दिन इनका विधिवत विसर्जन किया जाता है। आप चाहे तो गणेश प्रतिमा को अपनी सुविधानुसार डेढ़ दिन, तीन दिन, पांच दिन, सात दिन या फिर नौ दिनों तक भी रख सकते है।
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गणेश चतुर्थी 2018 शुभ मुहूर्त | Ganesh Chaturthi 2018 Shubh Muhurat
- चतुर्थी कब से शुरू हो रही है: बुधवार 12 सितंबर को शाम 4:07 बजे के बाद चतुर्थी लग जाएगी।
- चतुर्थी कब तक रहेगी: गुरुवार 13 सितंबर को दोपहर 2:51 बजे तक चतुर्थी रहेगी।
- गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त: गुरुवार 13 सितंबर को सुबह 11:02:34 से 13:31:28 तक पूजन का शुभ मुहूर्त है।
- पूजन के लिए शुभ अवधि : 2 घंटे 28 मिनट
- राहुुकाल: 13 सितंबर को 1:30 से 3:00 बजे तक राहुुकाल रहेगा, इसमें पूजा नहीं होगी. राहुुकाल से पहले-पहले पूजन करें।
- चन्द्र दर्शन नहीं करने का समय: 12 सितंबर 2018 को 16:08:43 से 20:32:00 तक।
- चन्द्र दर्शन नहीं करने का समय : 13 सितंबर 2018 को 09:31:59 से 21:11:00 तक।
गणेश चतुर्थी पूजा विधि | Ganesh Chaturthi Puja Vidhi
1. सर्वप्रथम घर के मंदिर में या फिर किसी स्वच्छ और पवित्र जगह श्री गणेश की स्थापना करे। गणेश जी के स्थान के उलटे हाथ की तरफ जल से भरा हुआ कलश चावल या गेहूं के ऊपर स्थापित करे। धूप व अगरबत्ती लगाएं। कलश के मुख पर मौली बांधें एवं आमपत्र के साथ एक नारियल उसके मुख पर रखें। ध्यान रहे कि नारियल की जटाएं ऊपर की ओर ही रहे। गणेश जी के स्थान के सीधे हाथ की तरफ घी का दीपक एवं दक्षिणावर्ती शंख रखना चाहिए। सुपारी गणेश भी रखें।
2. पूजन की शुरुआत में हाथ में अक्षत, जल एवं पुष्प लेकर स्वस्तिवाचन, गणेश ध्यान एवं समस्त देवताओं का स्मरण करें।
3. अब अक्षत एवं पुष्प चौकी पर समर्पित करें। इसके पश्चात एक सुपारी में मौली लपेटकर चौकी पर थोड़े-से अक्षत रख उस पर वह सुपारी स्थापित करें।
4. भगवान गणेश का आह्वान करें। गणेश आह्वान के बाद कलश पूजन करें।
5. कलश उत्तर-पूर्व दिशा या चौकी की बाईं ओर स्थापित करें। कलश पूजन के बाद दीप पूजन करें।
6. इसके बाद पंचोपचार या षोडषोपचार के द्वारा गणेश पूजन करें. षोडषोपचार पूजन इस प्रकार होता है
- सबसे पहले आह्वान करते हैं।
- इसके बाद स्थान ग्रहण कराते हैं।
- हाथ में जल लेकर मंत्र पढ़ते हुए प्रभु के चरणों में अर्पित करते हैं।
- चंद्रमा को अर्घ्य देने की तरह पानी छोड़ें।
- मंत्र पढ़ते हुए 3 बार जल चढ़ाएं।
- पान के पत्ते या दूर्वा से पानी लेकर छींटें मारें।
- सिलेसिलाए वस्त्र, पीताम्बरी कपड़ा या कलावा चढ़ाएं।
- जनेऊ, हार, मालाएं, पगड़ी आदि चढ़ाएं।
- इत्र छिड़कें या चंदन अर्पित करें. फूल, धूप, दीप, पान के पत्ते पर फल, मिठाई, मेवे आदि चढ़ाएं।
7. परंपरागत पूजन करें और आरती करें।
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