Vrat Upwas Ke Niyam | हिन्दू धर्म में व्रत-उपवास का विशेष महत्व है। व्रत-उपवास भगवान की विशेष कृपा पाने के लिए किए जाते हैं। इनके संबंध में कुछ खास नियम भी बताए गए हैं। इन नियमों का पालन न करने पर व्रत का फल नहीं मिलता है, बल्कि जीवन में परेशानियां बढ़ सकती हैं। अगर आप भी व्रत करते हैं तो जरूर जानिए व्रत से जुडी ये ख़ास बातें और नियम।
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व्रत-उपवास का अर्थ
व्रत-उपवास का अर्थ है संकल्प या दृढ़ निश्चय तथा ईश्वर या इष्टदेव के समीप बैठना। व्रत-उपवास का इतना अधिक महत्व है कि हर दिन कोई न कोई उपवास या व्रत होता ही है। वास्तव में व्रत उपवास का संबंध हमारे शारीरिक एवं मानसिक शुद्धिकरण से है। इससे हमारा शरीर भी स्वस्थ रहता है और धर्म लाभ भी मिलता है।
ये हैं व्रत के 3 प्रकार
व्रत कई प्रकार के होते हैं, जैसे नित्य, नैमित्तिक, काम्य व्रत।
- नित्य व्रत भगवन को प्रसन्न करने के लिए निरंतर किया जाता है।
- नैमित्तिक व्रत किसी निमित्त के लिए किया जाता है।
- काम्य व्रत किसी विशेष कामना के लिए किया जाता है।
व्रत से मिलते हैं ये स्वास्थ्य लाभ
व्रत से शरीर स्वस्थ रहता है। निराहार रहने, एक समय भोजन लेने या केवल फलाहार से पाचनतंत्र को आराम मिलता है। व्रत से पेट संबंधी कई बीमारियों में लाभ मिलता है। इससे कब्ज, गैस, एसिडीटी, सिरदर्द, बुखार, मोटापा जैसे कई रोगों में फायदा मिलता है।
व्रत के धार्मिक लाभ
धर्म के नजरिए से व्रत से आध्यत्मिक शक्ति बढ़ती है। ज्ञान, विचार, पवित्रता बुद्धि का विकास होता है। इसी कारण उपवास व्रत को पूजा पद्धति को शामिल किया गया है।
व्रत किसे नहीं करना चाहिए
संन्यासी, छोटे बच्चे, रोगी, गर्भवती और वृद्धों के लिए व्रत-उपवास करना जरूरी नहीं है।
अगर आप भी व्रत करते हैं तो यहां बताए जा रहे 10 कामों से हमेशा बचें, अन्यथा भगवान की कृपा नहीं मिल पाएगी।
व्रत करते वक़्त ध्यान रखे ये नियम
- सुबह देर तक न सोएं और दिन में या सूर्यास्त के समय न सोएं।
- घर में क्लेश न करें।
- झूठ न बोलें और किसी की बुराई न करें।
- लालच न करें, दूसरों के धन को हड़पने की न सोचे।
- किसी भी प्रकार का नशा करने से बचे।
- व्याभिचार न करें, अनैतिक संबंध न बनाएं।
- किसी प्रकार की हिंसा न करें।
- माता-पिता का और घर के बड़ों का अनादर न करें।
- बिना नहाए भोजन करें, पूजा न करें।
- किसी का मन न दुखाएं, किसी की बददुआएँ न लें।
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