Sharir Ka Saar – Dr. Ajay Dixit “Ajay”
आचार्य डॉ अजय दीक्षित द्वारा रचित रचना –
शरीर का सार
है राम नाम आधार तुम्हारी सांसों में।
सतनाम राम का सार तुम्हारी सांसों में।।
1- हानि-लाभ और जनम -मरण सब, माया पति की माया।
यश -अपयश प्रारब्ध से मिलता, कलुषित मत कर काया।।
कर्ता-धर्ता करतार तुम्हारी सासों में।
सतनाम राम का सार तुम्हारी सांसों में।।
2- राजा-रंक व रंभ-करंभ रवि-चंद्र चंद्र आधीन।
थलचर,जलचर,नभचर सारे हरि कौतुक के सीन।।
है श्रृष्टि का विस्तार तुम्हारी सांसों में।
सतनाम राम का सार तुम्हारी सांसों में।।
3- समझ सके तो समझ सत्य को अजय सांस का खेला।
तीन और चौदह के मध्य में चार दिनों का मेला ।।
दो का नौ करे प्रचार तुम्हारी सांसों में।
है अजय नाम आधार तुम्हारी सांसों में।।
आचार्य डा.अजय दीक्षित “अजय”
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Sharir Ka Saar
Hai Ram Naam Aadhaar Tumhari Saanso main
Satnaam Ram Ka Saar Tumhari Saanso main ।।
Hani-Labh aur Jivan Maran Sab, Maya Pati Ki Maya
Yash-Apyash Prarabdh Se Milta, Kalushit Mat Kar Kaya
Karta-Dharta Kartaar Tumhari Saanso main
Satnaam Ram Ka Saar Tumhari Saanso main ।।1।।
Raja-Rank va Rambh-Karambh Ravi-Chandra Chandra Aadhin
Thalchar, Jalchar, Nabhchar Saare Hari Kautuk Ke Seen
Hai Srushti Ka Vistaar Tumhari Saanson Main
Satnaam Ram Ka Saar Tumhari Saanso main ।।2।।
Samajh Sake To Samajh Saty Ko Ajay Saans Ka Khela
Teen Aur Chaudah Ke Madhya Me Char Deeno Ka Mela
Do Ka Nau Kare Prachar Tumhari Saanso main
Hai Ajay Naam Aadhar Tumhari Saanso main ।।3।।
Dr. Ajay Dixit “Ajay”
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- अजय दीक्षित शायरी
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