Rote Rote Muskurana Padta Hai | रोते-रोते मुस्कराना पडता है
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रोते-रोते मुस्कराना पडता है ।
हंस के भी आंसू बहाना पड़ता है ।
लक्ष्य पाने के लिए मीरा को भी ।
बिष भरा प्याला उठाना पडता है ।।
( 1)
हर परीक्षा में, खरी उतरी ओ परमीता ।
आग में ,परित्याग की ,जलती रही सीता ।।
जो सती बनकर पती के संग रही हरदम ।
उस अहिल्या को दिया है श्राप रिषि गौतम ।।
:– बन शिला जीवन बिताना पड़ता है।।
रोते-रोते मुस्कराना पडता है ।।
(2)
आज का अंजाम है बस यही जानो ।
ये परीक्षा ही नही परिणाम है जानो ।
राम बनना है कठिन ये काम तुम जानो ।
राम बनने के लिए क्या काम तुम जानो ।
:—- शिव थनुष पहले उठाना पड़ता है ।।
रोते-रोते मुस्कराना पडता है ।।
(3)
राम जाने क्यों, सत्य संताप पाता है ।
राम बनके ,बन में ओ ,जीवन बिताता है ।
सीखना है मूर्ति से तो ध्यान धर सोंचो ।
हर कोई एकलव्य बन सकता है पर सोंचो ।
:—दांया अंगूठा तब कटाना पड़ता है ।।
रोते-रोते मुस्कराना पड़ता है ।।
(4)
खून देता है कोई सीमा की रक्षा में ।
कोई चलता जेट-प्रेस वायु सुरक्षा में ।
एक पुष्प चढा देना नहीं सच्ची सहादत हैं ।
मातृ भूमि से “अजय” यदि सच्ची मोहब्बत है ।
:—-+सर कलम करके चढ़ाना पड़ता है ।।
रोते-रोते मुस्कराना पड़ता है ।।
डा.अजय दीक्षित “अजय”
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