दर्द की सच्चाई
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दर्द से हमारा रिश्ता बड़ा निराला है।
अचम्भित न हो दर्द ने ही मुझे पाला है
मेरा जीवन एक मकड़ी का जाला है।
सदा चलता रहा इससे पांव में छाला है
बिना दीप, ज्योति के जीवन काला है
जो दिया जलता है उसी में उजाला है
जो अपना है वही रिश्ता तोड़ देता है
अंधेरे में साया भी साथ छोड़ देता है
कभी-कभी टूट कर बिखर जाते हैं
पर विपत्तियों में हम निखर जाते हैं
अकेला हूं ! मगर पथ मुझको ईश्वर दिखाता है
एक द्वार बंद होने से पहले अजय दूसरा खुल जाता है।।

दर्द की सच्चाई
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