मुने! फिर तो श्रीकृष्ण के रोमकूपों से भी उसी क्षण गोपगणों का आविर्भाव हुआ, जो रूप और वेष में भी उन्हीं के समान थे।
संख्यावेत्ता महर्षियों का कथन है कि श्रुति में गोलोक के कमनीय मनोहर रूप वाले गोपों की संख्या तीस करोड़ बतायी गयी है।
फिर तत्काल ही श्रीकृष्ण के रोमकूपों से नित्य सुस्थिर यौवन वाली गौएँ प्रकट हुईं, जिनके रूप-रंग अनेक प्रकार के थे। बहुतेरे बलीवर्द (साँड़), सुरभि जाति की गौएँ, नाना प्रकार के सुन्दर-सुन्दर बछड़े और अत्यन्त मनोहर, श्यामवर्ण वाली बहुत-सी कामधेनु गायें भी वहाँ तत्काल प्रकट हो गयीं।
उनमें से एक मनोहर बलीवर्द को, जो करोड़ों सिंहों के समान बलशाली था, श्रीकृष्ण ने शिव को सवारी के लिये दे दिया। तत्पश्चात् श्रीकृष्ण के चरणों के
नखछिद्रों से सहसा मनोहर हंस-पंक्ति प्रकट हुई। उन हंसों में नर, मादा और बच्चे सभी मिले-जुले थे। उनमें से एक राजहंस को, जो महान बल-पराक्रम से सम्पन्न था, श्रीकृष्ण ने तपस्वी ब्रह्मा को वाहन बनाने के लिये अर्पित कर दिया।
तदनन्तर परमात्मा श्रीकृष्ण के बायें कान के छिद्र से सफेद रंग के घोड़ों का समुदाय प्रकट हुआ, जो बड़ा मनोहर जान पड़ता था। उनमें से एक श्वेत अश्व गोपांगनावल्लभ श्रीकृष्ण ने देवसभा में विराजमान धर्म को सवारी के लिये प्रसन्नतापूर्वक दे दिया।
फिर उन परम पुरुष के दाहिने कान के छिद्र से उस देवसभा के भीतर ही महान बलवान और पराक्रमी सिंहों की श्रेणी प्रकट हुई। श्रीकृष्ण ने उनमें से एक सिंह जो बहुमूल्य श्रेष्ठ हार से अलंकृत था, बड़े आदर के साथ प्रकृति (दुर्गा)– देवी को अर्पित कर दिया। उन्हें वही सिंह दिया गया, जिसे वे लेना चाहती थीं।
श्रीकृष्ण ने लीलापूर्वक ‘जल’ की रचना की। वे अपने मुख से निःश्वास वायु के साथ जल की एक-एक बूँद गिराने लगे। मुख से निकले हुए उस बिन्दु मात्र जल ने सम्पूर्ण विश्व को आप्लावित कर दिया
उसी जल से सीप नामक जीव का जन्म हुआ। श्रीकृष्ण के मुख से गिरती हुई जल की एक बूंद
सीप ने पी लिया जल पीते ही उसका रुप दिव्य हो गया ।
उस दिव्य रुप को :—– “मोती” कहकर श्री कृष्ण ने पुकारा और वह मोती चंद्रमा को प्रदान कर दिया । तथा चन्द्रमा को वीज मंत्र प्रदान किया ।
श्री कृष्ण ने कहा :– आज से जो भी जीव इस वीज मंत्र से 21सहस्त्र बार मोती को अभिमंत्रित करके धारण करेगा उसे तत्काल चंद्र शक्ति प्राप्त होगी ।
उसी वीज मंत्र से अभिमंत्रित करके :——
श्री सत्य सनातन शोध संस्थान ने मोतियों की माला तैयार की है आप के लिए ।
मोती का प्रयोग कैसे करें –
- सौरमंडल के सबसे चमकदार ग्रहों में से एक चंद्रमा का रत्न है मोती। चंद्रमा मनुष्य के मन का कारक है और इसका पूरा प्रभाव मनुष्य की सोच पर पड़ता है। मन को स्थिरता प्रदान करने में मोती रत्न अहम भूमिका निभाता है। मोती धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
मोती रत्न पहनने के लाभ –
- मोती रत्न पहनने से ब्लडप्रेशर और मूत्राशय से संबंधित रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है। जिन लोगों का मानसिक संतुलन ठीक न हो उन्हें भी मोती रत्न धारण करना चाहिए।
- यदि कुंडली में चंद्रमा नीच स्थान में बैठा है तो आपको मोती रत्न अवश्य धारण करना चाहिए।
- मोती रत्न पहनने से जातक अपने क्रोध पर नियंत्रण पाने में सफल हो पाता है। चंद्रमा की शीतलता की तरह मोती रत्न भी व्यक्ति के मन को शीतल यानि शांत रखता है।
सिद्ध मोती की माला
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आचार्य डा.अजय दीक्षित
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