4 Chanakya Niti About Ladies : आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति नामक ग्रंथ की रचना की थी। इस ग्रंथ में स्त्री और पुरुष के लिए कई उपयोगी नीतियां बताई गई हैं। ये नीतियां आज भी कई बातों का सटीक जवाब है।
पहली नीति
मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च।
दु:खिते सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति।।
इस श्लोक में आचार्य कहते हैं कि मूर्ख शिष्य को उपदेश देने पर, चरित्रहीन स्त्री का पालन-पोषण करने पर, किसी दुखी व्यक्ति के साथ रहने पर दुख ही प्राप्त होता है।
दूसरी नीति
दुष्टा भार्या शठं मित्रं भृत्यश्चोत्तरदायक:।
स-सर्पे च गृहे वासो मृत्युरेव न संशय:।।
इस श्लोक के अनुसार यदि कोई स्त्री दुष्ट स्वभाव वाली है, हमेशा कठोर वचन बोलने वाली है, चरित्रहीन है तो उसे छोड़ देना चाहिए या उससे दूर हो जाना चाहिए। इसी प्रकार किसी नीच व्यक्ति से भी किसी प्रकार का व्यवहार नहीं रखना चाहिए। जो नौकर अपने मालिक का आदेश नहीं मानता हो उसे कार्य से मुक्त कर देना चाहिए और जिस घर के आसपास सांप रहते हों वहां नहीं रहना चाहिए। जो भी व्यक्ति इन बातों का पालन नहीं करता है उसे मृत्यु के समान कष्ट भोगने पड़ते हैं।
तीसरी नीति
आपदर्थे धनं रक्षेद्दारान् रक्षेद्धनैरपि।
आत्मानं सततं रक्षेद् दारैरपि धनैरपि।।
इस श्लोक के अनुसार किसी भी श्रेष्ठ पुरुष को आपत्तिकाल के लिए धन बचाकर रखना चाहिए। धन से भी अधिक अपनी पत्नी की रक्षा करनी चाहिए और पत्नी से भी ज्यादा स्वयं की रक्षा करनी चाहिए, क्योंकि पति सुरक्षित रहेगा तभी उसका परिवार भी सुरक्षित रहेगा।
चौथी नीति
यस्य पुत्रो वशीभूतो भार्या छन्दानुगामिनी।
विभवे यश्च सन्तुष्टस्तस्य स्वर्ग इहैव हि।।
आचार्य कहते हैं कि किसी पुरुष का पुत्र आज्ञाकारी हो और पत्नी वश में हो तथा धन की कोई कमी न हो तो उसका जीवन किसी स्वर्ग के समान ही है।
कौन थे आचार्य चाणक्य
भारत के इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। एक समय जब भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए भारतीय सीमा तक आ पहुंचा था, तब चाणक्य ने अपनी नीतियों से भारत की रक्षा की थी। चाणक्य ने अपने प्रयासों और अपनी नीतियों के बल पर एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को भारत का सम्राट बनाया जो आगे चलकर चंद्रगुप्त मौर्य के नाम से प्रसिद्ध हुए और अखंड भारत का निर्माण किया।
चाणक्य के काल में पाटलीपुत्र (वर्तमान में पटना) बहुत शक्तिशाली राज्य मगध की राजधानी था। उस समय नंदवंश का साम्राज्य था और राजा था धनानंद। कुछ लोग इस राजा का नाम महानंद भी बताते हैं। एक बार महानंद ने भरी सभा में चाणक्य का अपमान किया था और इसी अपमान का प्रतिशोध लेने के लिए आचार्य ने चंद्रगुप्त को युद्धकला में पारंपत किया। चंद्रगुप्त की मदद से चाणक्य ने मगध पर आक्रमण किया और महानंद को पराजित किया।
आचार्य चाणक्य की नीतियां आज भी हमारे लिए बहुत उपयोगी हैं। जो भी व्यक्ति नीतियों का पालन करता है, उसे जीवन में सभी सुख-सुविधाएं और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
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neha gupta says
apne purusho k apeksha mahilao k charitra k bare me kuch zada he keh diya
Vikram Sharma says
Nice Lines related to real life…..True facts of life
Tarun says
Really very good article thanks sir provide me good lines.