koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti – कई लोग इस रचना को हरिवंशराय बच्चन जी (Harivansh Rai Bachchan) द्वारा रचित मानते हैं। लेकिन श्री अमिताभ बच्चन ने अपनी एक फ़ेसबुक पोस्ट में स्पष्ट किया है कि यह रचना सोहनलाल द्विवेदी जी की है।
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koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti
Lahron se darkar nauka kabhi paar nahi hoti
koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti
nanhi chinti jab dana lekar chalti hai,
chadhti deewaron par sau baar fisalti hai,
manka vishwas ragon me sahas bharta hai,
chadhkar girna, girkar chadhna na akharta hai,
mehnat uski bekar har baar nahi hoti,
mehnat karne walo ki kabhi haar nahi hoti,
dubkiyan sindhu me gotakhor lagata hai,
ja ja kar khali haath laut kar ata hai,
mile na sehaj moti gehare pani me,
badhta duuna vishwas is hairani me,
muthi uski khaali har baar nahi hoti,
koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti,
asaflta ek chunauti hai, sweekar karo,
kya kami reh gayi, dekho aur sudhar karo,
jab tak safal na ho chain ki neend ko tyago tum,
sangharsh ka maidan mat chod kar bhago tum,
kuch kiye bina jai jai kaar nahi hoti,
koshish karne walon ki kabhi haar nahi hoti.
Sohanlal Dwivedi
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कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, सौ बार फिसलती है ।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है ।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है ।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में ।
मुट्ठी उसकी खाली हर बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो ।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम ।
कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती ।
सोहनलाल द्विवेदी
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