Chanakya Jivan Gatha Part- 9 चाणक्य की कूटनीति के विचित्र रंग अगले ही दिन चारो ओर यह बात फैला दी कि पर्वतेश्वर पौरवराज नदी में डूब गए। यह बात वे जितनी तेजी से फैलाना चाहते थे, उससे भी तेजी से फैली, परन्तु इससे भी तेजी से एक और समाचार फैला। वह समाचार था फिलिप्स हत्या का। चाणक्य को पता चला कि फिलिप्स की हत्या से सब स्थानो पर भारी उथल-पुथल मच गई है। यवन सैनिक दौड़ते फिर रहे है। उनका कहना था कि … [Read more...]
Chanakya Jivani (चाणक्य जीवनी )
Chanakya Jivani Part-8 सेल्यूकस से भेँट चलते-चलते चन्द्रगुप्त और चाणक्य थककर चूर हो गए। प्यास से उनका कंठ भी सूखने लगा। उन्होंने चाणक्य से कहा___"मुझे क्षमा करे गुरुदेव ! मैं अब चलने में असमर्थ हूं। प्यास से मेरा गला भी सुखा जा रहा है।" चाणक्य ने चंद्रगुप्त से कहा___"कोई बात नहीं। तुम उस वृक्ष के नीचे विश्राम करो। मैं तुम्हारे लिए जल लेकर आता हूं।" इसके बाद चंद्रगुप्त को वहीं छोड़कर चाणक्य जल … [Read more...]
Chanakya Katha in Hindi Part-7 (चाणक्य कथा भाग-7)
Chanakya Katha in Hindi Part-7 घोर अपमान चंद्रगुप्त ने अथितिशाला में चाणक्य को ऊंचे आसन पर बैठाया तथा स्वयं उनके लिए भोजन परोसा। इसके पश्चात वह आग्रह कर-करके चाणक्य को खिलाने लगा। चाणक्य प्रेमपूर्वक भोजन करने लगे, परन्तु अभी वह आधा भोजन भी नहीं कर पाए थे कि नंदराज अपने भाइयों सहित वहां आ पहुंचा। एक काले-कलूटे वअधनंगे ब्राह्मण को ऊंचे आसन पर भोजन करते देख, वह क्रोध से भर गया। "क्यों रे नंगे … [Read more...]
Hindi Story of Chanakya Part- 6 (स्टोरी ऑफ़ चाणक्य पार्ट- 6)
Hindi Story of Chanakya Part- 6 लम्बे समय बाद हुई अपनों से भेंट अपना संकल्प पूरा कर लेने के बाद चाणक्य अपनी झोपड़ी में लौट गए। उनके मन में पूर्ण शांति भर गई थी। उस दिन उन्होंने वर्षों बाद जी भरकर विश्राम किया। अब वे अपने बचपन की मित्र सुवासिनी और चाचा-चाची से मिलना चाहते थे। उन्हें क्या पता था की उनके माता-पिता की तरह उनकी चाची भी अब संसार में नहीं रही। किसानों से वे इतना जान चुके थे कि शकटार को … [Read more...]
Chanakya Story Part-5 (चाणक्य स्टोरी पार्ट-5)
Chanakya Story Part-5 गांधार में प्रवेश चलते-चलते चाणक्य ने गांधार प्रान्त में प्रवेश पा ही लिया। वहां पहुंचते ही उसका चेहरा खिल उठा। बहुत चर्चा सुनी थी उसने गांधार की। वहां की सभ्यता तथा भव्यता की। पुरातनता तथा विशाल भवनों की। सचमुच वहां के नागरिक तथा भवन अलग ही प्रतीत हो रहे थे। वहां सचमुच सभ्यता व भव्यता दिखाई दे रही थी। उसने गांधार के बारे में जैसा सुना था, वैसा ही पाया। थके हारे … [Read more...]
कहानी ‘चाणक्य’ की पार्ट-4 (Kahani ‘Chanakya’ ki in Hindi Part- 4)
Kahani 'Chanakya' ki in Hindi Part- 4 अंतिम संस्कार आंधी-तूफान की चिंता किए बिना कौटिल्य दौड़ता-दौड़ता एक अज्ञात स्थान पर जा पहुंचा। पास ही गंगा बह रही थी। एक पेड़ के नीचे खड़े होकर कौटिल्य बिलख-बिलखकर रोने लगा। वह अपने पिता का केवल सिर ही प्राप्त कर सका था। पूरी देह नहीं,परन्तु माँ का तो कुछ भी नहीं प्राप्त कर सका था। पता नहीं, माँ का देहांत कब हुआ था ? उसका अंतिम संस्कार किया जा चूका था या नहीं … [Read more...]
बायोग्राफी ऑफ़ चाणक्य पार्ट- 3 (Chanakya Biography in Hindi Part- 3)
Chanakya Biography in Hindi Part- 3 जब कौटिल्य का बचपन दम तोड़ने लगा राक्षस के आदेश से आचार्य चणक व महामात्य शकटार को बंदी बना लिया गया। अंतर केवल इतना था कि चणक अकेले बंदी बनाए गए, जबकि शकटार परिवार सहित। जिस समय चणक बंदी बनाए गए, उस समय कौटिल्य घर पर न था। जब वह घर लौटा तो अपनी माँ को फूट-फूटकर रोते हुए पाया। जब कौटिल्य ने माँ से रोने का कारण पूछा, तो उसने केवल इतना ही कहा- "तू यहां से भाग … [Read more...]
आचार्य चाणक्य की जीवनी पार्ट- 2 (Chanakya Jivani in Hindi Part- 2)
Chanakya Jivani in Hindi Part 2 सुवासिनी दरिद्रता के वातावरण में कौटिल्य धीरे-धीरे बड़ा होने लगा। वह अपने पिता से शिक्षा प्राप्त करता तथा मिटटी के खिलौनों से खेलता। मित्र के नाम पर केवल सुवासिनी थी। उम्र में लगभग तीन वर्ष छोटी। महामात्य शकटार की इकलौती संतान। दोनों में गहरा प्रेम था। सुवासिनी का मन-पसंद खेल था घर-घर खेलना। वह एक छोटा-सा घर बनाकर उसके चारो और लकड़ी की सूखी-सूखी टहनियाँ गाड़कर … [Read more...]
चाणक्य- सम्पूर्ण कहानी पार्ट-1 (Chanakya- Complete Story Part-1)
Chanakya- Complete Story Part-1 कुछ हज़ार वर्ष पूर्व का विशाल भारतवर्ष ! हिमालय से द्रविड़ तक तथा गांधार से ब्रह्मदेश तक फैला हुआ, परन्तु छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित। इसी भारतवर्ष का एक वैभव-संपन्न व शक्तिशाली राज्य था मगध। मगध के सीमावर्ती नगर में ही थी वह झोपडी, जहां आचार्य चणक निवास करते थे। आचार्य चणक बहुत विद्वान थे, परन्तु थे दरिद्र। उनके विशाल मस्तक पर तीन लम्बी व गहरी रेखाएं थी। नेत्र … [Read more...]
चाणक्य नीति- संस्कारहीन घर की ऐसी कन्या से विवाह किया जा सकता है
प्रतिदिन कई लोगों से हमारा संपर्क होता है, उनमें से कुछ अच्छे चरित्र और व्यवहार वाले होते हैं तो कुछ बुरे स्वभाव वाले होते हैं। अच्छे लोगों से सीखने और लेने के लिए काफी कुछ रहता है लेकिन हम बुरे लोगों से भी अच्छी बातें ग्रहण कर सकते हैं। इस संबंध में आचार्य चाणक्य ने कहा है कि श्लोक विषादप्यमृतं ग्राह्ममेध्यादपि कांचनम्। नीचादप्युत्तमां विद्यां स्त्रीरत्नं दुष्कुलादपि।। इसका अर्थ है कि … [Read more...]