Pushp Vatika Me Siyarama Kavya Rachna In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'पुष्प वाटिका में सीया राम'Ram Navami Shayari | राम नवमी शायरीश्रीराम सुमिरणपुष्प वाटिका में सीया राम (Pushp Vatika Me Siyarama)पुष्प वाटिका में राम आएंसंग में अपने लखन को लाएंराम की सूरत सीया ने देखीदेख के तन मन सुध बुध खो दीमोहिनी मूरत नैना विशाल हैंमंद समीर सी चाल ढाल हैंमंयक मुख में राजीव नयन … [Read more...]
‘पांच दोहे’- मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Paanch Dohe In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'पांच दोहे'पांच दोहेकनक आंचल लहराता,गांव धरा का आज|फसलें भी जवान हुई,बजे लगन के साज||1||देखभाल फसल की की,पुत्री समझ के रोज|कर पीले कर लिए हैं,दिल का उतरा बोज||2||तन मन से पाला उसे,मान बदन का अंग|विवाह हुआ चली गई, कहां रहीं अब संग||3||पीहर से पति घर गई,वही बना घरबार|अब माता - पिता के घर,पुत्री का इंतजार||4||बेटी अपने घर गई,पति … [Read more...]
‘नील वर्ण’ और ‘एक मुक्तक’- मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Kavya Rachna In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'नील वर्ण' और 'एक मुक्तक'नील वर्णनीले नयन,नीले वसन,उस पर नीली चुड़ियाँ|लाल अधर,लाल दुपट्टा,ललाट लाल बिंदिया|चेहरा उदास,मिलन प्यास,कानों में झुले झुमकियां|चिन्तन मन,करती मनन,कैसे मिटेगी दूरियाँ?मनीष नंदवाना 'चित्रकार'राजसमन्दएक मुक्तकधरा पर स्वर्ग की परी सी लगती हैं|घास पर ओस की बूंद सी लगती हैं|चिन्तन मनन में मग्न हैं तू इस … [Read more...]
सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम -अमित राज श्रीवास्तव
ग़ज़ल - सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम (Suno To Mujhe Bhi Jara Tum)सुनो तो मुझे भी ज़रा तुम (Suno To Mujhe Bhi Jara Tum)सुनो तो मुझे भी ज़रा तुमबनो तो मिरी शोअरा तुमये सोना ये चाँदी ये हीराहै खोटा मगर हो खरा तुमतिरा ज़िक्र हर बज़्म में हैसभी ज़िक्र से मावरा तुममिरी कुछ ग़ज़ल तुम कहो अबख़बर है हो नुक्ता-सरा तुममिलो भी कभी घर पे मेरेकरो चाय पर मशवरा तुमथी ये दोस्ती कल तलक ही,हो अब 'अर्श' की दिलबरा तुम।- अमित राज … [Read more...]
‘गोमती का नीर’- मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Gomati Ka Neer Kavya Rachna In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'गोमती का नीर'जय जय राजसमंद - कमलेश जोशी 'कमल''गोमती का नीर' (Gomati Ka Neer)गोमती का नीर नीर|आता नौ चौकी के तीर|तृण तृण कण कण|श्रृंगार ये कराता हैं|1|जन जन हर मन|हरता हैं पीर पीर|पर्वतों की काया|हरी भरी कर जाता हैं|2|बादलों की बूंद बूंद|झरती हैं झर झर|झील का आंचल|समुंद्र सा लहराता हैं|3|लहरें भी उठ उठ|गिरती … [Read more...]
थूं हैं मारी गणगौर | राजस्थानी गीत – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
Tu Hai Mari Gangour In Hindi - मनीष नंदवाना 'चित्रकार' राजसमंद द्वारा रचित राजस्थानी गीत 'थूं हैं मारी गणगौर'Gangaur Shayari | गणगौर शायरीराजस्थानी गीतथूं हैं मारी गणगौर (Tu Hai Mari Gangour)थने देख ने मन में मारे उठे प्रेम हिलौरथूं है मारी गणगौरथूं है मारी गणगौरमारा मन का फूलां पे थूंतितली सी मंडरावे हैं - 2चुपके चुपके आवे हैं थूंचुपके चुपके जावे हैंमारो चित चुराई ने लइगीथूं हैं चित चोरथूं हैं … [Read more...]
जय जय राजसमंद – कमलेश जोशी ‘कमल’
Jai Jai Rajsamand Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'जय जय राजसमंद ' । यह रचना राजसमंद स्थापना दिवस के उपलक्ष में लिखी गयी है। राजसमंद स्थापना दिवस पर आप सभी को शुभकामनाएं ।जय जय राजसमंद (Jai Jai Rajsamand)इस धरती का कण कण प्यारा ,नित नित झुकाता हूं मै शीश रे जनम मिले तो यहीं मिले फिर ,जहां बिराजते द्वारिकाधीश रेछटा निराली मेरे राजसमंद की ,चहुं ओर है कितने ही तीर्थ रे कृपा … [Read more...]
देश देश से आई बहती – कमलेश जोशी ‘कमल’
Desh Desh Se Aayi Bahti Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'देश देश से आई बहती'देश देश से आई बहतीदेश देश से आई बहती इन धाराओं का संगम देखो किसने पिरोये सुंदर मोती इन पलों का सृजन देखोअद्भुत ये मंच सजा है देखो कितना दृश्य मनोहर पुलकित प्रसन्न हर मुख आगत भविष्य की धरोहरआतुर सब कहने को अपने मन की अभिव्यक्तिकितनी गहरी बातों को कहने की जिनमे है शक्तिहर एक अपने मे अलग हर एक, हर एक … [Read more...]
हम दीवाने रहे हैं – कमलेश जोशी ‘कमल’
Hum Deewane Rahe Hai Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'हम दीवाने रहे हैं'खयालात उनके कुछ पुराने रहे हैं अपने हो कर भी वह बेगाने रहे हैंदिल्लगी रखी मानकर जिसे अपना उन्ही के तीरों के हम निशाने रहे हैंसमय का पहिया चलता रहा सदा वक्त संग बदलते यूंही जमाने रहे हैंतुम कब मतलबी हो गए थे दोस्त साथ तेरे तो कितने अफसाने रहे हैंहुनर ठगने का नया चलन मे आज कला के कितने वरना घराने रहे … [Read more...]
‘नींव के पत्थर’ – कमलेश जोशी ‘कमल’
Neev Ke Patthar Poem In Hindi - कमलेश जोशी 'कमल' राजसमंद द्वारा रचित रचना 'नींव के पत्थर'नींव के पत्थर (Neev Ke Patthar)कंगुरे आसमान मे चढ कर छा जाते हैं नींव के पत्थर नींव मे दबे रह जाते हैंआभूषण की तारीफ खूब पाता जौहरीकीमत कुछ पा कारीगर ठगे रह जाते हैंखून पसीना बहा के अन्न उगाता किसान बिचोलिये मुनाफा पाकर मजे लूट जाते हैंवोट कीमती देकर चुना जनता ने जिसे जीतकर वो नेता जाने कहां रह जाते हैंचक्कर … [Read more...]