Jai Jai Rajsamand Poem In Hindi – कमलेश जोशी ‘कमल’ राजसमंद द्वारा रचित रचना ‘जय जय राजसमंद ‘ । यह रचना राजसमंद स्थापना दिवस के उपलक्ष में लिखी गयी है। राजसमंद स्थापना दिवस पर आप सभी को शुभकामनाएं ।
जय जय राजसमंद (Jai Jai Rajsamand)
इस धरती का कण कण प्यारा ,
नित नित झुकाता हूं मै शीश रे
जनम मिले तो यहीं मिले फिर ,
जहां बिराजते द्वारिकाधीश रे
छटा निराली मेरे राजसमंद की ,
चहुं ओर है कितने ही तीर्थ रे
कृपा बरसाते चारभुजानाथ जी ,
सिर पे श्रीनाथजी का आशीष रे
निर्मल पावन गोमती गंगा बहती ,
जिसके घाट घाट मनोहर तीर है
दिव्य छटा हमारी नौ चोकी की ,
अंकित इतिहास हर प्राचीर रे
दयालशाह जी किला सुगढ है ,
जैनधर्म का अनुपम यह तीर्थ रे ,
मौन तपस्वी सा साधना शिखर ,
हर लेता हर एक मन की पीर है
जिस माटी को सिर पे लगाकर ,
गुण गाते हम सब स्वाभिमान से
हल्दीघाटी परम पावन धरा यह,
महाराणा प्रताप प्रात:स्मरणीय रे
कुंभलगढ है विश्वप्रसिद्ध यहां पे ,
राज किये जहां कई रणवीर रे
इतिहास सहेजे कई युद्धो का ये,
बहुत लंबी है इसकी प्राचीर रे
रुपनारायण, सैवंत्री तीर्थ पावन,
रोकडिया हनुमान जी दर्शनीय रे
महादेव रामेश्वर, कुंतेश्वर बिराजे,
गूंजता नित ऊँ जय जगदीश रे
होली, दिवाली, ईद, गणगौर ,
प्रेम मे मनाते है कई त्योहार रे
तरह तरह के सुंदर मनोरथ ,
होते रहते है हर एक मंदिर रे
अरावली की दिव्य छटा में ,
बिराजते परशुराम महादेव रे
दिवेर की घाटी याद दिलाती,
पग पग पर रहते रणवीर रे
कला साहित्य संगीत खेल मे,
आगे रहता सदा राजसमंद रे
हर क्षैत्र मे पहचान बनाते है,
इस राजसमंद के कर्मवीर रे
करता कामना नित नित मन,
प्रभु देना इतना सा आशीष रे
मिले जनम फिर राजसमंद मे,
जहां बिराजते द्वारिकाधीश रे
कमलेश जोशी ‘कमल’
कांकरोली राजसमंद
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