Simsa Mata Temple Daroh : जैसा की सभी जानते है कि हिमाचल प्रदेश को देवभूमि भी कहा जाता है, हिमाचल कई देवी देवताओं की नगरी है वैसे ही नगरी में माँ सिमसा का बास है। हिमाचल में सिमसा माता के दो प्रमुख मंदिर है एक मंडी जिला के लडभड़ोल मे है और दूसरा मन्दिर काँगड़ा जिला के डरोह में है।
हम यहाँ सिमसा माता डरोह मंदिर के बारे में आपको जानकारी दे रहे है । सिमसा माता का ये मंदिर लगभग दो दश्क प्राचीन है। सिमसा माता का ये मंदिर डरोह में है जो की काँगड़ा जिला के पालमपुर से 17 किलोमीटर की दुरी पर है। यहाँ मात्र ज्योति जलाने से संतान की प्राप्ति होती और हर मनोकामना पूरी होती है। यहाँ माता पिंडी रूप में विराजमान है।
यहां कैसे स्थापित हुई सिमसा माता –
एक दंपति जोड़े को संतान नही हो रही थी। कई डॉक्टर्स को दिखाने के बाद वो अपनी उम्मीद कम कर बैठे थे। फिर किसी के द्वारा उन्हें सिमसा माता मन्दिर लडभड़ोल की जानकारी मिली। वो दंपति माता की सेवा में लग गए और सच्चे दिल से भक्ति करने लगे। माता की कृपा से उन्हें आठ साल बाद संतान का सौभाग्य प्राप्त हुआ।संतान का सौभाग्य प्राप्त होने के बाद भे वो सच्चे दिल से माँ की भक्ति करते रहे।
जब उनका पुत्र 1 साल का हो गया तो वो सिमसा माता मंदिर लडभड़ोल मे जातर(भेंट) चढ़ाने गये। इसके 1-2 दिन पश्चात सुबह के वक्त उस दंपति (कोरला वंशज) के आँगन मे एक छोटी कन्या नंगे पैर भिक्षा मांगने आयी। जब घर से रविंदर कोरला की माता जी बाहर आई तो उस लड़की ने सिर्फ चीनी की कटोरी की मांग की और यह भी कहा कि मुझे पैसे नही चाहिए। पर रविंदर की माता जी नहीं मानी और जब उन्होंने पैसे देने के लिए अपना ट्रंक खोला तो पैसे गायब थे और उसकी जगह फ़ूल पड़े थे ।
पहले तो माता जी ने यह सोचा था कि यह कोई झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाली लड़की है पर बाद में उन्हें यह देख के आश्चर्य हुआ और उन्होंने यह बात घर के बाकी सदस्यों को बताई। घर के कुछ सदस्य बाहर निकले लड़की अभी भी आँगन में मौजूद थी। उन्होंने लड़की से पूछा कि आप कौन हो तो उस लड़की ने कहा कि में सिमसा हूं, लडभड़ोल से आयी हूं। यह बात सुनकर सारे सदस्य हैरान हो गए। बाद में लड़की ने कहा कि जो आपके घर पुत्र हुआ उसके हाथों से मुझे पानी का एक लोटा दिलाओ। सारे सदस्य उस कन्या के चरणों में झुक गये। रविंदर ने अपने पुत्र के हाथों से जल का एक लोटा दिलाया।
देवी ने कहा कि मैं आपकी सच्ची भक्ति से बड़ी प्रसन्न हूं। मैं आपके द्वारा दुखी लोगों और निसंतान दम्पतियों का कल्याण करूँगी इसलिए में आपके घर स्थान लेना चाहती हूँ। मझे अपने घर के किसी कमरे में ले चलो। रविंद्र जी उस कन्या को एक कमरे में ले गए। कन्या ने उन्हें अपने असली रूप में दर्शन दिए और वहाँ धरती पर हाथ रखा जिससे धरती पर दरारे पड़ गई जो देखने मे ऐसी प्रतीत होती है कि धरती को लाइनों के द्वारा अलग कर दिया गया हो। बाद में माँ ने अपनी छोटी-2 दो उंगलियों से धरती को छुआ जिससे धरती पर उनके निशान आ गए जो आज भी है और वहां उस धरती से माता की पिंडी उबर कर आई।
बाद में माता सिमसा ने बताया कि मेरे इस स्थान में जो भी आएगा वो खाली हाथ नहीं लौटेगा ओर उसकी हर मनोकामना पूरी होगी। इतना कहकर माता अंतर्ध्यान हो गयी और पंडित रविंदर बेहोशी की हालत में चले गए। उसके बाद जैसे-जैसे लोगों को ये बाद पता चली। लोग दूर दूर से माँ के दरबार में आने लगे।
पहले 2-3 साल, माता सिमसा मंदिर लडभड़ोल मंडी, जो मुख्य प्राचीन माता का स्थान है उसके भांति सिमसा माता मन्दिर डरोह में भी औरतों को मंदिर में नवरात्रि पर धरती पर सोना होता था। जिससे उन्हें स्वप्न में माँ फल प्रदान करती थी पर पंडित रविंदर कोरला जी के घर में जगह कम पड़ने लगी क्योंकि हज़ारों की तादाद में लोग आते थे।
उन्होंने सिमसा माता की आराधना की फिर माँ रात को कोरला जी के स्वप्न में आई और कहा कि अब विवाहित जोड़ी ज्योति जलाने से संतान सुख भोग पाएगी। इस के लिए उन्हें तिल के तेल की ज्योति जलानी होगी जिससे उन्हें 27 दिन के अंदर स्वपन में मेरे किसी रूप में फल मिलेगा जिससे उन्हें 1 साल तक फल का परहेज करना पड़ना ओर अगर स्वपन में संतान बच्चे के रूप में आएगी तो उन्हें मीट शराब अंडे का परहेज रखना पड़ना। इसके बाद अबतक ऐसा होता आ रहा है हज़ारों लोगों को संतान सुख प्राप्त हुआ और उनकी मन्नत पूरी हुई। अब मंदिर काफी बड़ा बन चुका है और माता की महिमा और कृपा बरस रही है।
जय माता सिमसा
Post Credit : Sachin Corla
Website : https://sites.google.com/site/simsamatadaroh/
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Spritual temple.with positive energy
Jai mata simsa..
Jai mata Simsa…Maa teri mahima aparmpaar.tera sacha hai darwar😇🙏