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Seene mein jalan aankhon mein toofan sa kyun hai
Seene mein jalan aankhon mein toofan sa kyun hai
Is shaher mein har shaks pareshaan sa kyun hai
Dil hai toh dhadakne ka bahana koi dhoonde
Patthar ki tarah behis-o-bejaan sa kyun hai
Tanhaai ki ye konsi manzil, rafeekon
Ta-hadd-e-nazar ek bayabaan sa kyun hai
Ham ne to koi baat nikali nahi gham ki
Wo jood-e-pashemaan pashemaan sa kyun hai
Kya koi nayi baath nazar aati hai hum mein
Aaina hamay dekh ke hairaan sa kyun hai
Shahryar
<—–Justuju jiski thi usko to na paya hum ne Ye kya jagah hai dosto ye kaun sa dayaar hai–>
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शहरयार कि एक बेहद उम्दा ग़ज़ल जिसे की फ़िल्म गमन ( 1978) मे फिल्माया गया था , आवाज़ थी सुरेश वाडेकर की और संगीत था जयदेव का।
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
सीने में जलन आँखों में तूफ़ान सा क्यूँ है
इस शहर में हर शख़्स परेशान सा क्यूँ है
दिल है तो धड़कने का बहाना कोई ढूँढे
पत्थर की तरह बेहिस-ओ-बेजान सा क्यूँ है
तन्हाई की ये कौन सी मन्ज़िल है रफ़ीक़ो*
ता-हद्द-ए-नज़र* एक बयाबान सा क्यूँ है
हम ने तो कोई बात निकाली नहीं ग़म की
वो ज़ूद-ए-पशेमान* पशेमान सा क्यूँ है
क्या कोई नई बात नज़र आती है हम में
आईना हमें देख के हैरान सा क्यूँ है
* रफ़ीक़ = मित्र, हमराही
* ता-हद्द-ए-नज़र = जहाँ तक नज़र जा सके
* ज़ूद-ए-पशेमान = अपनी भूल पर बहुत जल्दी पछताने वाला
शहरयार
<—–जुस्तुजू जिसकी थी उसको तो न पाया हम ने ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है —>
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smt meena chopra says
Pouranic kathayen bahut achhi lagi