Sardi Ki Subah Poem In Hindi- मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित कविता ‘सरदी की सुबह’
कविता
‘सरदी की सुबह’ (Sardi Ki Subah)
सरदी की सुबह
सजधज
मैं, घर से निकला
जाने को पाठशाला
राह में
छोटे – छोटे बच्चें
अपने से अधिक
झोले का बोझ ढोए
जा रहें हैं पाठशाला
आते जाते राहगीर
मुंह पर रुमाल बांधे
टोपे वाला कोट पहने
दिखाई दे रहें हैं
“कोई मिल गया” के
जादू जैसे
कुछ कुत्ते
इधर – उधर
भागते हुए
दिखाई दे जाते हैं
रक्त गर्म कर जाते हैं
शीत में
कुछ चंचल नटखट बालक
मुख पर अंगुली रख
उनके बीच रिक्त स्थान बना
निकालते हैं भाप
जैसे निकलता हैं धुआं
सिगरेट के पीने पर
कुछ बड़े – बुजुर्ग
साफे की तरह
मफलर बांधे
लगा रहें हैं अलाव
बूढ़ी हड्डियों को गरम करने
चर्म को नरम करने
चाय की चुस्की के साथ
मेरा भी मन होता
बैठ जाऊं मैं जाके
उनके पास
लेकिन
तभी दिखाई दे जाती पाठशाला
कक्षा – कक्ष
और
कॉपी – पुस्तक
जिसके सहारे
ज्ञान का दीप जला
बनाना चाहता हूं
मासूम व कोमल बच्चों का
सुनहरा भविष्य
मैं कर रहा था इंतजार
वह आई
कदम से कदम मिला
हम चलने लगे
अपनी राह
कंपकपाती ठण्ड में
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
राजसमंद
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