Mandir Ka Aangan – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित कविता ‘मंदिर का आंगन’
‘मंदिर का आंगन’ (Mandir Ka Aangan)
नव दिन,नव रात|
प्रतिदिन सुबह शाम|
नव माता सम्मुख,
एक दीप तो जलाइएं|1|
कुमकुम अगरबत्ती|
फूलमाला,फूल पत्ति|
अक्षत गुड़ दीप से,
थाल को सजाइएं|2|
मंदिर के आंगन में|
रात रात जागरण में|
भक्ति में झूम झूम,
भजन सुनाइएं|3|
दीपमाला बिजली|
जगमग रोशनी|
आंगन फैलाकर,
अंधकार को मिटाइएं|4|
आंगन मूरत हो|
रंगों की रंगोली हो|
गीत गान कर के,
माता को रिजाइएं|5|
चमकी चुनर चोली|
काजल टीकी बिंदी रोली|
सज धज कर,
गौरी खूब इतराइ हैं|6|
मंदिर के प्रांगण में|
गरबा नृत्य आंगन में|
नाच नाच कर,
आशीष खूब पाइएं|7|
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित रचनाएं-
- रुढ़ कर तुम मुझसे कहां जाओगी
- काह्ना
- कही से महक आई हैं
- जन जन झूम रहा हैं
- ‘मुझे अच्छा लगता हैं’
- ‘भारत पुण्य धरा हैं प्यारी’
- प्रेम गीत – ‘संझा देखो फूल रहीं है’
- ‘जैसे घुंघरू बजते हो’
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