Hindi Poems on APJ Abdul Kalam | एपीजे अब्दुल कलाम पर हिंदी कविताएँ – देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित डॉ ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, भारत के एक प्रख्यात भारतीय वैज्ञानिक होने के साथ-साथ भारत के 11वें एवं पहले गैर राजनीतिज्ञ राष्ट्रपति थे, जिन्हें “मिसाइल मैन” के नाम से भी जाना जाता था। मिसाइलमैन के नाम से लोकप्रिय एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती ( APJ Abdul Birth Anniversary) 15 अक्टूबर को और उनकी पुण्यतिथि ( APJ Abdul Kalam Death Anniversary) 27 जुलाई को मनाई जाती है। उनका जन्म 15 अक्टूबर 1931 को रामेश्वरम में हुआ था और उनका निधन 27 जुलाई 2015 को शिलांग में दिल का दौरा पढ़ने से हुआ था। 15 अक्टूबर 2019 को देश उनकी 88 वी जयंती मनाएगा। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का जीवन देशवासियों के लिए, खासतौर पर बच्चों और युवाओं के लिए हमेशा प्रेरणा का स्त्रोत रहा है। हम यहाँ उनके ऊपर लिखी गयी कुछ कविताएं दे रहे है। आशा है आप सभी को पसंद आएँगी ।
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आज मैं भी गमगीन हूं मेरी कलम भी गमगीन है…
वो कलाम नहीं कमाल थे…
मिसाइलमैन वो बेमिसाल थे…
उनकी खूबियां करती रहेगीं
पथ प्रदर्शन मेरा…
वो मेरी मातृभूमि की ढाल थे…
वो कलाम नहीं कमाल थे…।।
तेरे ना होने का शिकवा तुझसे कैसै लिखूं ए कलाम…
आज मैं भी गमगीन हूं मेरी कलम भी गमगीन है…।।
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कलाम आप तो हैं कमाल
एक समपर्ण, एक था अर्पण
था जिनका जीवन एक दर्शन।
जन्में घर निर्धन के फिर भी पाया विशेष स्थान,
देख भेदभाव बालपन से, हुआ मन बेताब।
मानवता की सेवा करने उठाई आपने किताब।
की चेष्टा कोई जीव चोट ना पावें,
हर जन अपने हृदय, प्रेम अलख जगावें।
टिकाए पैर ज़मी पर, मन पंछी ऊँचा आसमाँ पावें।
किया निरतंर अभ्यास, न छोड़ी कभी आस,
विफलताओं से हुए, न कभी आप निराश।
किए निरंतर प्रयास पर प्रयास।
देशभक्त्ति की आप हो एक मिसाल,
जिसने जलाई देश में 2020 की मशाल।
सपनों को विचार, विचार को गति,
दी युवकों को ये संमति।
देश को दी आपने पहचान नई।
किया ‘ के-15 ‘ से मुकम्मल सुरक्षा इंतज़ाम।
आप तो कमाल हो, श्रीमान कलाम।
कर्मक्षेत्र था आपका विज्ञान,
पर गीत संगीत में थे बसे आपके प्राण।
आप बने बच्चों के हितैषी,
दिया मंत्र, वे बने स्वदेशी।
विश्व पटल पर रखी भारतीयों की मिसाल,
आपके गुणों की है, खान अति विशाल।
कलाम आप तो हैं कमाल!
हर देशवासी हो नत मस्तक, करें आपको सलाम।
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वे किसी के अब्दुल होते हैं… किसी के कलाम
बोलते-बोलते अचानक धड़ाम से
जमीन पर गिरा एक फिर वटवृक्ष
फिर कभी नही उठने की लिए
वृक्ष जो रत्न था,
वृक्ष जो शक्ति पुंज था,
वृक्ष जो न बोले तो भी
खिलखिलाहट बिखेरता था
चीर देता था हर सन्नाटे का सीना
सियासत से कोसों दूर
अन्वेषण के अनंत नशे में चूर
वृक्ष अब नही उठेगा कभी
अंकुरित होंगे उसके सपने
फिर इसी जमीन से
उगलेंगे मिसाइलें
शन्ति के दुश्मनों को
सबक सीखने के लिए
वृक्ष कभी मरते नही
अंकुरित होते हैं
नये-नये पल्लवों के साथ
वे किसी के अब्दुल होते है
किसी के कलाम.
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Hindi Poems on APJ Abdul Kalam
हमारा सलाम, कलाम के नाम
आइये, एक महान आत्मा को सलाम करे,
एक ऐसी आत्मा, जिन्होंने अपना जीवन,
बलिदान कर दिया – हमारे लिए.
आइये, श्रद्धांजलि दे एक ऐसी आत्मा को,
जिन्होंने असम्भव को संभव किया हमारे लिए.
आइये , एक महान आत्मा श्रद्धांजलि दे ,
जिसने अपने देश के लिए एक सपना देखा.
आइये, हम अपने भूतपूर्व राष्ट्रपति को नमन करें,
जिन्होंने हर विद्यार्थी को प्रोत्साहित किया,
जिनके किताबों और भाषण ने हमें प्रेरणा दी.
आइये, एक ऐसे व्यक्ति को सलाम करे,
जो किसी भी धर्म के बीच अंतर नही करते.
एक ऐसे व्यक्ति को सलाम करे,
जो सबके दिल पर राज करते हैं .
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Poem On APJ Abdul Kalam For Kids In Hindi
देश का सच्चा सपूत था वो
देश का सच्चा सपूत था वो
जात-पात से परे नेक बन्दा था वो
फ़कीराना जिन्दगी जीकर जिसने
देश को ताकतवर बनाया
सबसे चाहिता राष्ट्रपति कहलाकर
दिलों में अपनी जगह बनाया
नम आँखों को छोड़ वो
अनगिनत यादों में बस गया
मिसाइल मेन कहलाने वाला
अलविदा दोस्तों कह गया.
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Short Poem on APJ Abdul Kalam In Hindi
कलियुग की रामायण का राम चला गया…
कलियुग की रामायण का राम चला गया…
मेरे देश का कलाम चला गया…
जो देता था एकता का पैगाम वो कलाम चला गया…
जिनसे हुई दुश्मनों की नींद हराम वो कलाम चला गया…
जिसने दिया देश को परमाणु सलाम वो कलाम चला गया…
क्या बताऊं दोस्तों वतन का सबसे बड़ा हमनाम चला गया…
मेरा कलाम चला गया… हमारा कलाम चला गया…।।
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एक साथ गीता और कुरान चले गए…
आधुनिक भारत के भगवान चले गए…
इस देश के असली स्वाभिमान चले गए…
धर्म को अकेला छोड़ विज्ञान चले गए…
एक साथ गीता और कुरान चले गए…
मानवता के एकल प्रतिष्ठान चले गए…
धर्मनिरपेक्षता के मूल संविधान चले गए…
इस सदी के श्रेष्ठ ऋषि महान चले गए…
कलयुग के इकलौते इंसान चले गए…
ज्ञान राशि के अमित निधान चले गए…
सबके प्यारे अब्दुल कलाम चले गए…।।
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Hindi Poems on APJ Abdul Kalam
जब अनंत आकाश भी दहल उठता था…
मुख मौन हैं…
महिमायें आपके सामने गौण हैं…
माँ भारती का शक्तिध्वज…
फहराने बचा ही कौन है…
सूनी पड़ गई ये धरती…
आपके अलविदा कह जाने से…
जब अनंत आकाश भी दहल उठता था…
आपकी मिसाइल टकराने से…
सच्ची श्रद्धांजलि के लिए युवाओं को…
आगे आना होगा…
कलाम अलख भीतर जगा…
माँ भारती को मनाना होगा…
हे कलाम उदास मत होना हम आयेंगे हम आयेंगे…
आपकी प्रेरणा की ताकत ले स्वप्न उड़ान भर जायेंगे…।।
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