कविता – नज़ारें
देखते ही खूबसूरत नज़ारें …
एक चित्रकार उतार लेता है
नज़ारों को कैनवास पर,
एक फ़ोटोग्राफ़र क़ैद कर लेता है
उन नज़ारों को कैमरे में,
और एक कवि अपनी कविता में।।
और मैं …
देखता रह जाता हूँ
उन नज़ारों को,
उन में खोए हुए
दिल में उतारता चला जाता हूँ,
उनमें जीता चला जाता हूँ।
– अमित राज श्रीवास्तव

Amit Raj Shrivastava Poem In Hindi
Poem – Nazare
Dekhte Hi Khubsurat Nazare…..
Ek Chitrakaar Utaar Leta Hai
Nazron Ko Canvas Par,
Aur
Ek Kavi Apni Kavita Me।।
Aur Main….
Dehta Rah Jata Hu
Un Nazaron Ko,
Un Me Khoye Hue
Dil Me Utartaa Chala Jata Hu
Unme Jeeta Chala Jata Hu ।
-Amit Raj Shrivastavas
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Sundar prastuti
Behtreen amit sir.