कविता- वो एक मुद्दत का इश्क़ (Wo Ek Muddat Ka Ishq)
वो एक मुद्दत का इश्क़
बहुत बेचैन होता हूँ
आपकी हर एक बातों से,
इश्क़ भी पनपता हैं कहीं दिल में
पर एक अजीब विडंबना है।
मेरा बेचैन होना, इश्क़ का पनपना
मुझे बेवफ़ा बनाती है,
उस एक नाकामयाब एक तरफा इश्क़ के प्रति।
वो एक मुद्दत का इश्क़।
तब नासमझ था कुछ बोल नहीं पाया
कि बहुत इश्क़ हैं उससे,
आज समझा हूँ कुछ बोल नहीं पाऊँगा
कि कुछ नहीं है तुमसे।
अब भी चाहत है दिल में
उस अधूरे इश्क़ के प्रति।
वो एक मुद्दत का इश्क़।
-अमित राज श्रीवास्तव
Wo Ek Muddat Ka Ishq
Bahut Baichen Hota Hu
Aapki Har Ek Baton Se,
Ishak Bhi Panapta Hai Dil Me
Par Ek Ajeeb Vidambna Hai .
Mera Baichen Hona, Ishq Ka Panapna
Mujhe Bewafa Bnati Hai,
Us Ek Nakamyaab
Ek Tarfaa Ishq Ke Prati
Wo Ek Muddat Ka Ishq .
Tab Na Samajh Tha
Kuch Bol Nhi Paya
Ki Bahut Ishq Hai Usse,
Aaj Samjha Hu
Kuch Bol Nhi Paunga
Ki Kuch Nhi Hai Tumse.
Ab Bhi Chahat Hai Dil me
Us Adhure Ishq Ke Prati .
Wo Ek Muddat Ka Ishq .
-Amit Raj Shrivastavas
informationunbox says
बहुत ही गहरी दिल को छू गयी