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मुर्दों में ईमान नहीं आने वाला (Murdo Mein Imaan Nahi Aane Wala)
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मुर्दों में ईमान नहीं आने वाला। इन्सां आलीशान नहीं आने वाला ।।
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अपनी नैया अपने हाथों पार करो । अब कोई भगवान नहीं आने वाला ।।
इसे ढ़हा दो यह कमरा अति जर्जर है अब इसमें मेहमान नहीं आने वाला ।।
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एक महासागर था यारों सूख गया । अब कोई तूफ़ान नहीं आने वाला।।
फूल कमल का कीचड़ में ही खिलता है । इसके लिए गुलदान नहीं आने वाला ।।
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” अजय” जलेगी काया चिता की अग्नी में । कोई पुष्पक विमान नहीं आने वाला ।।
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आचार्य डा. अजय दीक्षित
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डा. अजय दीक्षित जी द्वारा लिखे अन्य गीत –
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- वतन रो रहा है
- रोते-रोते मुस्कराना पडता है
- अपना देश हिंदुस्तान
- कलम लिखै तौ यहै लिखै
- रख्खो उम्मीद दिल के कोने में
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