Suraj Aankh Micholi Karta Poem In Hindi – मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’ राजसमंद द्वारा रचित रचना ‘सूरज आंख मिचोली करता’
‘सूरज आंख मिचोली करता’ (Suraj Aankh Micholi Karta)
सूरज आंख मिचोली करता
कभी वो छुपता कभी वो दिखता
हल्की हल्की धूप धरा पर
कंचन कनक कणिकाएँ बिखेरता
मेघ गर्जन रह रह कर करता
आज हंसी ठीठोली करता
सूरज आंख मिचोली करता
तीखे तीर सी समीर चले हैं
शीतल शीतल मंद बहे हैं
हिमाचल के हिम सी शीतल
हिम कण सी अंबु बूंद लगे हैं
ओस बूंद मखमली घास की
हरी भरी झोली भरता
सूरज आंख मिचोली करता
काले काले बादल आएं
गहन गहरे घनघोर छाएं
धुंधली धुंधली धुंध गीरी हैं
धरती अंबर से जा मिली हैं
आसमान का मटमैला प्रतिबिंब
झील की चद्दर मटमैली करता
सूरज आंख मिचोली करता
ठंड़ से सब ठिठुर रहें हैं
गरम वसन पहन ओढ़ रहे हैं
बड़े बुजुर्ग अलाव जलाकर
नरम करते तन ताप तापकर
खेल खेल में बच्चें बच्चें
टोली में हमजोली बनता
सूरज आंख मिचोली करता
मनीष नंदवाना ‘चित्रकार’
राजसमंद
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